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गुरु नानक देव की जयंती क्यों मनाई जाती है

बाबा गुरु नानक देव ने किसे अपने बाद गुरु पद पर बिठाया

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गुरु नानक देव की जयंती क्यों मनाई जाती है 2021

नाम नानक देव जी
जन्म कार्तिक पूर्णिमा, संवत् 1527
जन्म स्थान तलवंडी, (वर्तमान ननकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान, पाकिस्तान)
मृत्यु 22 सितंबर 1539 करतारपुर
स्मारक समाधि करतारपुर
कार्यकाल 1499–1539
उत्तराधिकारी गुरु अंगद देव
माता-पिता लाला कल्याण राय (मेहता कालू जी), माता तृप्ता देवी जी के यहां हिन्दू परिवार में
धार्मिक मान्यता सिख पंथ की स्थापना

गुरु नानक देव की जयंती क्या है –

हिंदू धर्म में जिस तरह कार्तिक मास में आने वाली दिवाली सबसे बड़ा त्योहार है वैसे ही सिख धर्म के लिए कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली गुरु नानक जयंती सबसे बड़ा पर्व है. इसे प्रकाश पर्व या फिर गुरु पर्व भी कहते हैं. इसी दिन सिख धर्म के सबसे प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. इस दिन सिख धर्म को मानने वाले भजन कीर्तन करते हैं और वाहेगुरु का जाप करते हैं. बता दें कि इस साल आगामी 19 नवंबर यानि आज गुरु नानक जयंती है |

कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है तो वहीं उसके पंद्रह दिनों बाद यानी कि कार्तिक की पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस मौके पर बड़े पैमाने पर कार्यक्रम होते हैं, जिसके लिए महीनेभर पहले से तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं |गुरु नानक देव की जयंती क्यों मनाई जाती है,

गुरु नानक देव जी का जन्म और पारिवारिक विवरण –

सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक की पूर्णिमा के दिन भारत के पंजाब जिले के तलवंडी (यह हिस्सा अब पाकिस्तान में है) गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम बाबा कालु चंदू वेदी था। इनके पिता उस गांव के राजस्व प्रशासन अधिकारी के पद पर काम करते थे। इनकी माता का नाम त्रिपति था। वह बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी।

गुरु नानक देव जी का जन्म एक संपन्न परिवार में ही हुआ था। गुरु नानक देव जी का 16 साल की उम्र में विवाह हो गया था। विवाह के बाद इनके यहां दो पुत्र श्रीचंद और लक्ष्मी दास का जन्म हुआ। पुत्रों के जन्म लेने के बाद इन्होंने अपना घर परिवार पूरी तरह से छोड़ दिया था और अपने उद्देश और सिद्धांतों के प्रचार के लिए निकल पड़े हैं।गुरु नानक देव की जयंती क्यों मनाई जाती है,

गुरु नानक जी कौन थे –

गुरु नानक जी सिख समुदाय के पहले गुरु थे और इस धर्म के संस्थापक भी. कहा जाता है कि उन्होंने ने ही सिख समाज की नींव रखी थी. उनको मानने वाले उन्हें नानक देव और बाबा नानक के साथ ही नानकशाह भी कहते हैं. लद्दाख और तिब्बत के क्षेत्र में उन्हें नानक लामा भी कहते है. गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी मानव समाज के कल्याण में लगा दी थी. केवल मात्र भारत ही नहीं इसके बाहर जाकर अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी उन्होंने उपदेश दिए. 16 साल की आयु में ही उन्होंने सुलक्खनी नाम की युवती से शादी की और बाद में दो बेटों श्रीचंद और लखमीदास के पिता बने. 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में उनकी मृत्यु हुई. अपनी मृत्यु से पहले ही उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने शिष्य भाई लहना के नाम की घोषणा की, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए. यही गुरु अंगद देव सिख धर्म के दूसरे गुरु बन थे |

गुरु नानक जयंती 2021 तारीख और समय –

1. गुरु नानक की 552 वीं जयंती
2. गुरु नानक जयंती: 19 नवंबर 2021 शुक्रवार
3. पूर्णिमा तीथी शुरू: 18 नवंबर 2021 को दोपहर 12:00 बजे
4. पूर्णिमा तीथि समाप्त: 19 नवंबर 2021 को दोपहर 02:26 बजे

गुरु नानक जयंती का इतिहास –

1469 ई. में सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. उनका जन्म भोई की तलवंडी (राय भोई दी तलवंडी) नाम के स्थान पर हुआ था, ये जगह अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद ननकाना साहिब में है. इस जगह का नाम नानक देव के नाम से रखा गया. यहां देश विदेश में चर्चित गुरुद्वारा ननकाना साहिब है. शेर-ए पंजाब के नाम से पहचाने जाने वाले सिख साम्राज्य के राजा, महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारा ननकाना साहिब बनवाया था |

गुरू नानक देव की शिक्षाएं –

गुरू नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरू थे। उनका जीवन और शिक्षाएं न केवल धर्म विशेष के लिए बल्की पूरी मानव जाति को सही दिशा दिखाती हैं। इसलिए ही उनके जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के नाम से जाना जाता है। गुरू नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 ई. में हुआ था। उनका जन्म स्थान वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। जहां पर आज ननकाना साहिब नाम का गुरू द्वारा है। ननकाना साहिब गुरूद्वारे का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। गुरू नानक देव ने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए, एक निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश दिया था। उन्होंने तात्कालिक समाज की बुराईयों और कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

गुरु नानक जयंती कैसे मनाई जाती है –

गुरु नानक जयंती का उत्सव कई अन्य गुरुपर्व त्योहारों के समान है। त्योहार की शुरुआत प्रभात फेरी या गुरुद्वारों में सुबह की बारात से होती है। आसा-दी-वर का गायन या भजन स्थानीय लोगों द्वारा गुरु की प्रशंसा में किया जाता है। कब्जे में पवित्र पुस्तक और फूलों से सजाया गया ध्वज है। त्योहार से पहले, गुरुद्वारों में लगातार अड़तालीस घंटे तक सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब को पढ़ने की परंपरा है। नेताओं ने जुलूसों के माध्यम से इस दिन गुरु नानक का संदेश फैलाया। जुलूस के दौरान, स्थानीय बैंड भजनों के साथ सिख वैवाहिक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। उसके बाद, एक विशेष समुदाय दोपहर का भोजन है जिसे लंगर कहा जाता है, स्वयंसेवकों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है। यह नि: शुल्क सांप्रदायिक दोपहर का भोजन, सेवा और भक्ति की भावना के साथ, वर्ग, जाति या पंथ के बावजूद सभी को भोजन देने के विचार को दर्शाता है। यहां तक ​​कि कुछ हिंदू भी इस त्योहार में भाग लेते हैं। वे पूजा के दौरान गुरुद्वारों में जाते हैं और प्रार्थना करते हैं। गुरु नानक देव का पवित्र त्योहार बिना किसी भेदभाव के समानता सिखाता है।

गुरु नानक देव के विचार एवं जीवन के उद्देश्य –

गुरु नानक देव जी के विचार और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को सुनकर सभी लोग उनका पालन भी करते थे। वह सभी लोगों को ईश्वर की भक्ति में विश्वास करने के लिए कहते थे, उनका जीवन बहुत सादगी पूर्ण रहा था। गुरु नानक देव मूर्ति पूजा में बिल्कुल विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने अपने इन आध्यात्मिक विचारों के द्वारा लोगों को अपने ज्ञान और विचार से बहुत प्रभावित किया। उन्होंने हमेशा सभी लोगों को एक सही रास्ता दिखाया।

गुरु नानक देव सभी गरीबों और जो भी जरूरतमंद लोग हैं, उन सभी की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे। इसीलिए लोग उनके सभी उपदेशों को बहुत सरलता से समझते थे और उनका पालन भी करते थे। गुरु नानक देव सभी मनुष्य को एक समान रखते थे। किसी में कोई भेदभाव या फर्क नहीं समझते थे।

गुरु नानक देव का योगदान –

1. गुरु नानक देव जी एक दार्शनिक, समाज सुधारक, चिंतक एवं कवि थे।
2. इन्होंने समानता और भाईचारे पर आधारित समाज तथा महिलाओं के सम्मान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
3. गुरु नानक देव जी ने विश्व को ‘नाम जपो, किरत करो, वंड छको’ का संदेश दिया जिसका अर्थ है- ईश्वर के नाम का जप करो, ईमानदारी व मेहनत के साथ अपनी ज़िम्‍मेदारी निभाओ तथा जो कुछ भी कमाते हो उसे ज़रूरतमंदों के साथ बाँटो।
4. उन्होंने यज्ञ, धार्मिक स्नान, मूर्ति पूजा, कठोर तपस्या को नकार दिया।
5. वे एक आदर्श व्यक्ति थे, जो एक संत की तरह रहे और पूरे विश्व को ‘कर्म’ का संदेश दिया।
उन्होंने भक्ति के ‘निर्गुण’ रूप की शिक्षा दी।
6. इसके अलावा उन्होंने अपने अनुयायियों को एक समुदाय में संगठित किया और सामूहिक पूजा (संगत) के लिये कुछ नियम बनाए।
7. उन्होंने अपने अनुयायियों को ‘एक ओंकार’ (Ek Onkar) का मूल मंत्र दिया और जाति, पंथ एवं लिंग के आधार पर भेदभाव किये बिना सभी मनुष्यों के साथ समान व्यवहार करने पर ज़ोर दिया।

गुरु नानक जयंती पर सामुहिक आयोजन –

इस प्रकाश पर्व के दिन सिक्खों के पवित्र ग्रंथ में “गुरु ग्रंथ साहिब” को गुरुद्वारे में पढ़ा जाता है। वहां पर दीपक भी जलाए जाते हैं और गुरुद्वारे में दोपहर का भोजन भी पकाया जाता है। सभी गुरुद्वारों में बड़े-बड़े लंगर का भी आयोजन किया जाता है और सिक्ख समुदाय के लोग खड़ा प्रसाद खाकर आनंद प्राप्त करते हैं।

इसके बाद सभी लोग एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते हैं, उसको लंगर भी कहा जाता है। गुरु पर्व के दिन बहुत बड़े जुलूस निकाले जाते हैं। उनमें खेलों का, कुछ झांकी और खास तौर पर पंज प्यारे के जुलूस निकलते हैं।

गुरु नानक देव के 10 उपदेश –

1. गुरु नानक देव ने ‘इक ओंकार’ का मंत्र दिया था उनका कहना था कि ईश्वर एक है और सभी जगह मौजूद है हम सबका पिता वही है इसलिए सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए
गुरु नानक देव ने लोगों को लोभ त्यागकर नीतिपूर्वक धन कमाने का उपदेश दिया उन्होंने कहा था कि धन कमाकर मानवता के कल्याण में उसका उपयोग करना चाहिए |

2. नानक देव ने हक की बात कही थी और उनका मानना था कि कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए |

3. बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरतमंदों की भी मदद करनी चाहिए |

4. धन को हमेशा जेब तक ही सीमित रखना चाहिए. उसे कभी भी अपने हृदय में स्थान नहीं देना चाहिए. ऐसा करने से स्वंय का ही नुकसान होता है |

5. हमेशा स्त्री जाति का आदर-सम्मान करना चाहिए. गुरु नानक देव स्त्री व पुरुष सभी को एक समान मानते थे |

6. मनुष्य को हमेशा तनाव मुक्त रहकर अपना काम निरंतर करते रहना चाहिए और सदैव प्रसन्न रहना चाहिए |

7. गुरु नानक देव का कहना था कि संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर बुराईओं पर विजय पाना आवश्यक है |

8. अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है और इसलिए कभी अहंकार नहीं करना चाहिए. बल्कि विनम्र होकर सेवा भाव से अपना जीवन व्यतीत करें |

9. गुरु नानक देव पूरे संसर को एक घर मानते थे और उनका मानना था कि संसार में रहने वाले लोग परिवार का हिस्सा हैं |

10. गुरु नानक देव ने लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश दिया |

गुरु नानक देव की श्यारियो –

वाहे गुरु आशीष देना कि पूरी उम्र आपके चरणों में गुजर जाएं
दीया ऐसा जलाना की ज्ञान की पूंजी से झोली भर जाए
बांह पकड़ना ऐसी प्रभु कि संसार रूपी सागर तर जाए
गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं।

नानक नाम जहाज है
जो जपे वो तर जाए
सद्गुरु आपको प्यार
आप ही तो हैं मेरे खेवनहार

खुशियों और आपका जन्म जन्म का साथ हो
हर किसी की जुबान पर आपकी हंसी की बात हो
जीवन में आपके कभी कोई मुसीबत आए भी
तो सर पर आपके गुरु नानक देव जी का हाथ हो।

राज करेगा खालसा, बाके रहे न कोए,
वाहेगुरु जी का खालसा वह गुरु जी की फतेह
गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं

गुरु नानक जयंती की बधाई आपको,
कल्याण और आशीर्वाद मिले आपको
खुशी का जीवन से रिश्ता हो ऐसा
दीये का बाती सतग रिश्ता हो जैसा।

गुरु नानक देव जी का संदेश क्या था –

गुरु नानक देव जी ने भक्ति के अमृत-भक्ति रस के बारे में बात की थी। गुरु नानक देव जी भक्ति योग में पूरी तरह से विसर्जित एक भक्त थे , जबकि गुरु गोबिंद सिंह एक कर्म योगी थे (जो अपने कर्म या कर्म करने में विश्वास रखते थे)।

जब लोग सांसारिक मामलों में उलझ जाते हैं, गुरु नानक देव जी ने उन्हें अपने अंदर की ओर जाने के लिए प्रेरित किया – यही उनका संदेश था। गुरु नानक देव जी ने कहा, “इतने भी सांसारिक मामलों में मत उलझ जाओ कि आप परमेश्वर के नाम को भूल जाओ।

गुरु नानक देव जी के भक्ति के बारे में एक सुंदर कहानी –

कई बार, गुरु नानक देव जी के पिता उन्हें बाजार में सब्जियां बेचने के लिए कहते थे। सब्जियां बेचते समय, जैसे वह गिनती शुरू करते थे, वह 13 नंबर पर रुक जाते थे, जिसका अर्थ “तुम्हारा” भी होता है। तेरा शब्द सुनकर, वह दैवीय विचारों में विसर्जित हो जाते थे। इसलिए, काम करते समय भी, उनका मन काम में नहीं बल्कि सिर्फ परमात्मा पर लगता था। गुरु नानक देव जी हमेशा कहते थे “मैं तुम्हारा हूँ, मैं तुम्हारा हूं, मैं तुम्हारा हूँ।”
गुरु नानक का जीवन प्रेम, ज्ञान और वीरता से भरा हुआ था।

गुरु ग्रंथ साहिब में एक सुंदर प्रार्थना है, जो कुछ इस तरह है, “एक ओन्कर (भगवान एक है), सतनाम (उसका नाम सत्य है), कर्ता-पुरख (वह निर्माता है), निर्भौ (वह बिना डर के), निर्वार् (वह किसी के समान नहीं है), अकाल- मूरत (वह कभी मरता नहीं), अजनुनी साईंहांग (वह जन्म और मृत्यु से परे है), गुरप्रसाद (वह सच्चे गुरु की दया से महसूस होता है), जप (उसका नाम दोहराएं), आदम सच (वह सच है), जुगाड सच (वह कभी भी सच है), है भी सच (वह अब सच्चाई है), नानक होस भी सच (वह भविष्य में सच हो जाएगा)।”

पूरी दुनिया एक ओमकार (एक दिव्यता) से पैदा होती है। हमारे चारों तरफ सब कुछ एक अकेले ओमकार के स्पंदन से बना है और आप केवल गुरु की कृपा से ही ओम को जान सकते हैं। यह हर जगह है, लेकिन यह केवल गुरु के माध्यम से ही समझा जा सकता है।

ओम एक चेतना की गहराई में मौजूद अनन्त ध्वनि है। यदि आप समुद्र में जाते हैं और लहरों को ध्यान से सुनते हैं, तो आपको एक ही आवाज़ सुनाई देगी – ओम , यदि आप पहाड़ की चोटी पर जाते हैं और बहने वाली हवा को सुनते हैं, तो आपको ओम ही सुनाई देगी। इस जन्म से पहले, हम सब ओम में थे। इस जन्म के बाद, हम उस ओम की ध्वनि में विलय करेंगे। सृजन की गहराई में, वह आवाज अभी भी प्रतिध्वनित है। इन सभी धर्मों में बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, हिंदू धर्म, ताओवाद, या शिंटोवाद – ओमकार (ओम जप) को बहुत महत्व दिया जाता है।

गुरु नानक देव जी के सिद्धांत कौन कौन से है –

गुरु नानक देव के सिद्धांत आज भी मौजूद है। उनके अनुयायी आज भी उनके द्वारा दिये गए सिद्धांतों पर चल रहे हैं और उनका सभी लोगों को उन पर चलने की शिक्षा भी दे रहे हैं। गुरु नानक देव जी के सिद्धांत निम्न है:
1. ईश्वर एक है। इस सत्य को कोई भी धर्म नहीं झुठला सकता है।सभी धर्म इस बात को मानते है क्योंकि सभी धर्मों में ईश्वर को एक माना है।
2. ईश्वर का दर्शन आप हर जगह कर सकते हो, वह इस संसार के सभी मनुष्य, जीव-जंतु, पेड-पौधे आदि सभी सजीवों में दिखाई देता है।
3. जो भी मनुष्य भगवान की शरण में रहता है, उसको किसी से भी डरने की अर्थात किसी प्रकार का डर उसके मन में नहीं रहना चाहिए।
4. सभी लोगों को सच्चे मन से और पूरी निष्ठा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए।
मनुष्य को किसी भी जीव जंतुओं को परेशान नहीं करना चाहिए और ना ही उनको मारना चाहिए।
5. भगवान की नजर में स्त्री और पुरुष दोनों एक समान है।
6. मनुष्य को अपने जीवन में स्वस्थ और निरोगी रहने के लिए अच्छा खाना खाना चाहिए तथा उसको कभी लालची, लोभी, क्रोधी नहीं बनना चाहिए।

गुरु नानक जयंती के बारे में 10 मुख्य बातें –

1. गुरु नानक देव जी सिखों के पहले गुरु हैं।
2. गुरु नानक जयंती सिखों का एक पवित्र त्योहार है।
3. गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था।
4. गुरुपर्व सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक के जन्म का प्रतीक है।
5. गुरु नानक जयंती या गुरुपर्व हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है।
6. गुरु नानक जयंती का त्योहार 3 दिनों के लिए मनाया जाता है।
7. गुरु नानक की शिक्षाएं समानता और एक ईश्वर पर आधारित हैं।
8. इस दिन सभी गुरुद्वारों में लंगर लगाया जाता है।
9. गुरु नानक जयंती समारोह सामाजिक भेदभाव के बिना सभी को प्यार करने और उनकी सेवा करने को दर्शाता है।
10. गुरु नानक जयंती दो दिन पहले गुरूद्वारे में अखंड गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है।

गुरु नानक देव जी की मृत्यु –

गुरु नानक देव को देश विदेशों में प्रचार करने के बाद अंत में वो करतारपुर (वर्तमान में यह अब पाकिस्तान में है) में आकर रहने लगे, उन्होंने अपना पूरा जीवन इसी गांव में निकाल दिया। इसके बाद 22 सितंबर 1539 को इनकी मृत्यु करतारपुर में ही हो गई। करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा सिक्खों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है।

प्यारे दोस्तो आज के इस नये लेख में हमने आपको सरकार द्वारा शुरू कर दी गई गुरु नानक देव की जयंती क्यों मनाई जाती है से जुड़ी जानकारीया प्रदान की है। यदि आपको लेख में प्रदान की गई जानकारीया पसंद आयी हो तो इस लेख को अपने दोस्तो के साथ शेयर अवश्य करे। इसके अलावा यदि आपके मन में किसी तरह का कोई सवाल हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स में अवश्य पूछे।और इस प्रकार की लेटेस्ट जयंती के बारे में जानने के लिए हमारे साइट vidhia.in पर विजिट करे।

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