Uncategorized

इंदिरा गांधी की जयंती 2022 / इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री कब बनी

इंदिरा गांधी की जयंती 2022

इंदिरा गांधी की जयंती 2022 : नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं इंदिरा गांधी के बारे में इंदिरा गांधी कौन थी, इंदिरा गांधी के पिता कौन थे, इंदिरा गांधी ने देश के लिए कौन-कौन से कार्य किये, इंदिरा गांधी की प्रमुख विशेषताएं, इंदिरा गांधी भारत के प्रधानमंत्री कब बने, इंदिरा गांधी का प्रारंभिक जीवन, इंदिरा गांधी की शिक्षा, इंदिरा गांधी का विवाह किसके साथ हुआ, आदि सभी बिंदुओं पर आज हम विस्तार से चर्चा करने वाले हैं, इंदिरा गांधी की जयंती 2022,

इंदिरा गांधी की जयंती 2022

नाम इंदिरा गांधी
पिता का नाम जवाहर लाल नेहरू
माता का नाम कमला नेहरू
जन्म 19 नवम्बर 1917
जन्म स्थान इलाहाबाद (अब प्रयागराज)
कॉलेज ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और विश्व भारती यूनिवर्सिटी
कार्यक्षेत्र राजनेता
राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्न (1971)जवाहर लाल नेहरू अवार्ड फॉर इंटरनेशनल आउटस्टैंडिंग (1984)
उपलब्धि भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री
पति फ़िरोज़ गांधी
पुत्र राजीव गांधी और संजय गांधी
पुत्र वधुएँ सोनिया गांधी और मेनका गांधी
पौत्र राहुल गांधी और वरुण गांधी
पौत्री प्रियंका गांधी

इंदिरा गांधी की जयंती 2022 –

जिस युवा पारसी क्रन्तिकारी फिरोज गाँधी ने कमला नेहरु की सेवा की थी जो फिरोज लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनमी की पढाई छोड़कर आजादी की जंग में कूद पड़े थे इंदिरा ने उन्ही फिरोज गाँधी से शादी करने की ठान ली थी इंदिरा और फिरोज का ये प्यार लन्दन में परवान चढ़ा था फिरोज की हिम्मत नहीं हो रही थी की नेहरु से इंदिरा का हाथ मांगे लिहाजा इंदिरा ने पिता से बात की इंदिरा के इरादे पर नेहरु भड़क गए बहुत समझाने पर उन्होंने कहा अगर महात्मा गाँधी राजी हो जाये तो उन्हें ऐतराज नहीं होगा इंदिरा ने शादी के लिए महात्मा गाँधी से भी बात की गाँधी जी पहले तो बिलकुल राजी नहीं हुए लेकिन बहुत समझाने पर मान गए आखिर कार 26 मार्च 1942 को इंदिरा और फिरोज की शादी हो गयी शादी के बाद दोनों हनीमून के लिए कश्मीर चले गए लेकिन जब लौटे तो अंग्रेजी हुक़ूमत ने पति पत्नी को गिरफ्तार करके नैनी जेल में डाल दिया 13 महीने तक इंदिरा और फिरोज जेल में रहे 20 अगस्त 1944 को इंदिरा का परिवार बड़ा हुआ इसी दिन राजीव गाँधी का जन्म हुआ था दो साल बाद 14 दिसंबर 1946 को संजय के जन्म के साथ ही परिवार पूरा हो गया पंडित नेहरु के लिए राजीव और संजय के रूप में जैसे दो खिलौने मिल गये संजय थोड़े शरारती थे तो राजीव आम बच्चो से बिलकुल अलग 15 अगस्त 1947 देश आजाद हुआ और आधी रात जवाहर लाल नेहरु ने आजादी का ऐलान किया पंडित नेहरु देश के पहले प्रधान मंत्री बने इंदिरा दो हिस्सों में बट गयी. एक तरफ वो अपना परिवार सम्हाल रही थी तो दूसरी तरफ पिता का भी उन्हें ख्याल रखना था फिरोज गाँधी लखनऊ के नेशनल हेराल्ड के मैनिजिंग एडिटर बन गए इंदिरा भी लखनऊ आ गयी इंदिरा का दिल्ली आना जाना बना रहा. इसको लेकर इंदिरा और फिरोज के रिस्तो में कडवाहट बढ़ने लगी |इंदिरा गांधी की जयंती 2022 ,

इंदिरा गांधी का जन्म और प्रारंभिक जीवन –

इंदिरा गांधी का जन्म दिन एक शुभ दिन था जिस दिन लेनिन रूस में राजशाही के विरुद्ध जन क्रांति का बिगुल बजाया था वह ऐतिहासिक दिन 19 नवंबर 1917 का था इंदिरा जी के व्यक्तित्व में दूरदर्शिता, ओजस्विता और साहस का अद्भुत समन्वय मिलता है उनके राजनीतिक जीवन का प्रारंभ उनके बचपन से ही समझा जाना चाहिए गांधी जी के आंदोलन के समय उनके माता पिता स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे उस समय स्वतंत्रता आंदोलन का जोर इतना था जिसका प्रभाव उनके अवचेतन मन पर भी पड़ा इंदिरा जी कहती थी “मुझे मालूम नहीं कि मैं कभी खिलौनों से खेली हूं”

इंदिरा गाँधी की शिक्षा –

इंदिरा ने पुणे विश्वविद्यालय से मेट्रिक पास कर दिया और पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन से भी थोड़ी शिक्षा हासिल की, इसके बाद वह स्विट्जरलैंड और लंदन में सोमेरविल्ले कॉलेज,ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने गई |
1936 में, उनकी मां कमला नेहरू तपेदिक से बीमार हो गयी थी, पढाई के दिनों में ही इंदिरा ने स्विट्जरलैंड में कुछ महीने अपनी बीमार मां के साथ बिताये थे, कमला की मृत्यु के समय जवाहरलाल नेहरू भारतीय जेल में थे |

विवाह और पारिवारिक जीवन –

इंदिरा जब इंडियन नेशनल कांग्रेस की सदस्य बनी, तो उनकी मुलाक़ात फिरोज गांधी से हुई फिरोज गाँधी तब एक पत्रकार और यूथ कांग्रेस के महत्वपूर्ण सदस्य थे 1941 में अपने पिता की असहमति के बावजूद भी इंदिरा ने फिरोज गांधी से विवाह कर लिया था. इंदिरा ने पहले राजीव गांधी और उसके 2 साल बाद संजय गांधी को जन्म दिया |

इंदिरा का विवाह फिरोज गान्धी से जरुर हुआ था, लेकिन फिरोज और महात्मा गांधी में कोई रिश्ता नहीं था फिरोज उनके साथ स्वतंत्रता के संघर्ष में साथ थे, लेकिन वो पारसी थे, जबकि इंदिरा हिन्दू और उस समय अंतरजातीय विवाह इतना आम नहीं था दरअसल, इस जोड़ी को सार्वजनिक रूप से पसंद नहीं किया जा रहा था, ऐसे में महात्मा गांधी ने इस जोड़ी को समर्थन दिया और ये सार्वजनिक बयान दिया, जिसमें उनका मीडिया से अनुरोध भी शामिल था “मैं अपमानजनक पत्रों के लेखकों को अपने गुस्से को कम करने के लिए इस शादी में आकर नवयुगल को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित करता हूं” और कहा जाता हैं कि महात्मा गांधी ने ही राजनीतिक छवि बनाये रखने के लिए फिरोज और इंदिरा को गाँधी लगाने का सुझाव दिया था

इंदिरा का राजनीतिक करियर –

नेहरु परिवार वैसे भी भारत के केंद्र सरकार में मुख्य परिवार थे, इसलिए इंदिरा का राजनीति में आना ज्यादा मुश्किल और आश्चर्यजनक नहीं था उन्होंने बचपन से ही महात्मा गांधी को अपने इलाहाबाद वाले घर में आते-जाते देखा था, इसलिए उनकी देश और यहाँ की राजनीति में रूचि थी |
1951-52 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी ने अपने पति फिरोज गांधी के लिए बहुत सी चुनावी सभाएं आयोजित की और उनके समर्थन में चलने वाले चुनावी अभियान का नेतृत्व किया उस समय फिरोज रायबरेली से चुनाव लड़ रहे थे जल्द ही फिरोज सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ा चेहरा बन गए उन्होंने बहुत से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का पर्दा फाश किया, जिसमे बीमा कम्पनी और वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी का नाम शामिल था वित्त मंत्री को तब जवाहर लाल नेहरु का करीबी माना जाता था |

इस तरह फिरोज राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की मुख्य धारा में सामने आये, और अपने थोड़े से समर्थकों के साथ उन्होंने केंद्र सरकार के साथ अपना संघर्ष ज़ारी रखा, लेकिन 8 सितम्बर 1960 को फिरोज की हृदयघात से मृत्यु हो गई |

भारत-पकिस्तान युद्ध 1971 में इंदिरा गाँधी की भूमिका –

वास्तव में 1971 में इंदिरा को बहुत बडे संकट का सामना करना पड़ा युद्ध की शुरुआत तब हुयी थी,जब पश्चिम पाकिस्तान की सेनाएं अपनी स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए बंगाली पूर्वी पाकिस्तान में गईं उन्होंने 31 मार्च को भयानक हिंसा के खिलाफ बात की, लेकिन प्रतिरोध जारी रहा और लाखों शरणार्थियों ने पड़ोसी देश भारत में प्रवेश करना शुरू कर दिया |

इन शरणार्थियों की देखभाल में भारत में संसाधनों का संकट होने लगा, इस कारण देश के भीतर भी तनाव काफी बढ गया हालांकि भारत ने वहाँ के लिए संघर्षरत स्वतंत्रता सेनानियों का समर्थन कीया. स्थिति तब और भी जटिल हो गई, जब अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चाहा, कि संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा हो, जबकि इधर चीन पहले से पाकिस्तान को हथियार दे रहा था, और भारत ने सोवियत संघ के साथ “शांति, दोस्ती और सहयोग की संधि” पर हस्ताक्षर किए थे |

पश्चिमी पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में आम-जन पर अत्यचार करने शुरू कर दिए, जिनमें हिन्दुओं को मुख्य रूप से लक्षित किया गया, नतीजतन, लगभग 10 मिलियन पूर्व पाकिस्तानी नागरिक देश से भाग गए और भारत में शरण मांगी भारी संख्या में शरणार्थी होने की स्थिति ने इंदिरा गांधी को पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ आजामी लीग के स्वतंत्रता के संघर्ष को समर्थन देने के लिए प्रेरित किया |

भारत ने सैन्य सहायता प्रदान की और पश्चिम पाकिस्तान के खिलाफ लड़ने के लिए सैनिकों को भी भेजा. 3 दिसम्बर को पाकिस्तान ने जब भारत के बेस पर बमबारी की तब युद्ध शुरू हुआ, तब इंदिरा ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के महत्व को समझा,और वहाँ के स्वतंत्रता सेनानियों को शरण देने एवं बांग्लादेश के निर्माण को समर्थन देने की घोषणा की 9 दिसम्बर को निक्सन ने यूएस के जलपोतों को भारत की तरफ रवाना करने का आदेश दिया, लेकिन 16 दिसम्बर को पाकिस्तान ने आत्म-समर्पण कर दिया |

अंतत:16 दिसंबर 1971 को ढाका में पश्चिमी पाकिस्तान बनाम पूर्वी पाकिस्तान का युद्ध समाप्त हुआ. पश्चिमी पाकिस्तानी सशस्त्र बल ने भारत के सामने आत्मसमर्पण के कागजों पर हस्ताक्षर किए, जिससे एक नए देश का जन्म हुआ, जिसका नाम बांग्लादेश रखा गया पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में भारत की जीत ने इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को एक चतुर राजनीतिक नेता के रूप में पहचान दिलाई इस युद्ध में पाकिस्तान का घुटने टेकना ना केवल बांग्लादेश और भारत के लिए, बल्कि इंदिरा के लिए भी एक जीत थी. इस कारण ही युद्ध की समाप्ति के बाद इंदिरा ने घोषणा की कि मैं ऐसी इंसान नहीं हूँ, जो किसी भी दबाव में काम करे, फिर चाहे कोई व्यक्ति हो या कोई देश,

इंदिरा गाँधी के अवार्ड्स –

इंदिरा गांधी को 1971 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था 1972 में उन्हें बांग्लादेश को आज़ाद करवाने के लिए मेक्सिकन अवार्ड से नवाजा गया फिर 1973 में सेकंड एनुअल मेडल एफएओ (2nd Annual Medal, FAO) और 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा हिंदी में साहित्य वाचस्पति का अवार्ड दिया गया |

इंदिरा को 1953 में यूएसए में मदर्स अवार्ड भी दिया गया, इसके अलावा डिप्लोमेसी के साथ बेहतर कार्य करने के लिए इसल्बेला डी’एस्टे अवार्ड ऑफ़ इटली (Islbella d’Este Award of Italy) मिला. उन्हें येल यूनिवर्सिटी के होलैंड मेमोरियल प्राइज से भी सम्मानित गया |

1967 और 1968 में फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के पोल (Poll) के अनुसार वो फ्रेंच लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली महिला राजनेता थी |

1971 में यूएसए के विशेष गेलप पोल सर्वे (Gallup Poll Survey ) के अनुसार वो दुनिया की सबसे ज्यादा सम्मानीय महिला थी. इसी वर्ष जानवरों की रक्षा के लिए अर्जेंटाइन सोसाइटी ने उन्हें डिप्लोमा ऑफ़ ऑनर से भी सम्मानित किया |

इंदिरा गाँधी का जीवन विश्व में भारत की महिला को एक सशक्त महिला के रूप में पहचान दिलाने वाला रहा हैं हालांकि उनके व्यक्तित्व को दो पक्षों से समझा जाता रहा हैं और उनके समर्थकों के साथ ही विरोधियों की भी संख्या काफी हैं. उनके लिए गये कई राजनीतिक और सामाजिक फैसले भी अक्सर चर्चा का विषय बने रहते हैं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत ने विकास के कई आयाम स्थापित किये थे,और उन्होंने विश्व पटल पर भारत की छवि को बदलकर रख दिया था |

इंदिरा गाँधी से जुडी रोचक बातें –

ये माना जाता हैं कि इंदिरा गांधी अपनी इमेज बनाए रखने पर काफी ध्यान देती थी 1965 के दौरान भारत-पाकिस्तान के युध्द के समय वो श्रीनगर में छुट्टियाँ मना रही थी सुरक्षा अधिकारी के ये बताने पर कि पाकिस्तान उनके होटल के काफी करीब आ गये हैं, वो ये जानने के बावजूद भी वो वही रुकी रही गांधी ने वहाँ से हटने से मना कर दिया, इस बात ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खीचा, जिससे विश्व पटल पर उनकी पहचान वो भारत की सशक्त महिला के रूप में बनी |

केथरीन फ्रैंक ने अपनी किताब “दी लाइफ ऑफ़ इंदिरा नेहरु गाँधी” में लिखा हैं कि इंदिरा का पहला प्यार शान्ति निकेतन में उनके जर्मन टीचर थे, उसके बाद जवाहर लाल नेहरु के सेक्रेटरी एम.ओ.मथाई ( O. Mathai) से उनके निकट-संबंध रहे उसके बाद उनका नाम योग के अध्यापक धीरेन्द्र ब्रह्मचारी और आखिर में कांग्रेस नेता दिनेश सिंह के साथ भी जोड़ा गया. लेकिन इन सबसे भी इंदिरा के विरोधी उनकी राजनीतिक छवि को नुक्सान नही पहुंचा सके,और उनके आगे बढने का मार्ग नही रोक सके |

1980 में संजय की प्लेन क्रैश में मृत्यु के बाद गांधी परिवार में तनाव बढ़ गया था और 1982 तक आते आते इंदिरा और मेनका गांधी के मध्य कडवाहट काफी बढ़ गयी. इस कारण इंदिरा ने मेनका को घर छोड़ने का कह दिया, लेकिन मेनका ने भी बैग के साथ अपने घर छोडकर जाते समय की फोटो मीडिया में दे दी और जनता के समाने ये घोषणा भी की, उन्हें नहीं पता कि उन्हें घर से क्यों निकाला जा रहा हैं वो अपनी माँ से भी ज्यादा अपनी सास इंदिरा को मानती रही हैं. मेनका अपने साथ अपना पुत्र वरुण भी लेकर गयी थी और इंदिरा के लिए अपने पोते से दूर होना काफी मुश्किल रहा था |

20 वी शताब्दी में महिला नेताओं की संख्या कम थी, जिनमें इंदिरा का नाम शामिल था लेकिन फिर भी इंदिरा की एक मित्र थी मार्गरेट थैचर ये दोनों 1976 में मिली थी और ये जानते हुए भी की इंदिरा पर आपतकाल के दौरान तानाशाही का इल्जाम हैं और वो अगला चुनाव हार गयी हैं, मार्गरेट ने इंदिरा का साथ नही छोड़ा ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर इंदिरा की समस्याओं को अच्छे से समझती थी थैचर भी इंदिरा की तरह ही बहादुर एवं सशक्त प्रधानमंत्री थी, जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि आतंकी हमले की आशंका होते हुए भी वो इंदिरा के अंतिम-संस्कार में आई थी उन्होंने इंदिरा की आसामयिक मृत्यु पर राजीव को संवेदनशील पत्र भी लिखा था |

इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने पर कांग्रेस में ही एक वर्ग था, जो किसी महिला के हाथ में शक्ति को बर्दाश्त नहीं कर सकता था, फिर भी इंदिरा ने ऐसे सभी व्यक्तियों और पारम्परिक सोच के कारण राजनीति में आने वाली समस्त बाधाओं का डटकर सामना किया
इंदिरा ने देश में कृषि के क्षेत्र में काफी सराहनीय काम किये थे, इसके लिए उन्होंने बहुत सी नई योजनाएं बनाई और कृषि सम्बंधित कार्यक्रम आयोजित किए इसमें विविध फसलें उगाना और खाध्य सामग्री को निर्यात करना जैसे मुख्य उद्देश्य शामिल थे उनका लक्ष्य देश में रोजगार सम्बंधित समस्या को कम करना और अनाज उत्पादन में आत्म-निर्भर बनना था इन सबसे ही हरित-क्रान्ति की शुरुआत हुई थी

इंदिरा गांधी ने भारत को आर्थिक और औद्योगिक सक्षम राष्ट्र बनाया था, इसके अलावा उनके कार्यकाल में ही विज्ञान और रिसर्च में भी भारत ने बहुत प्रगति की थी. उस दौरान ही पहली बार एक भारतीय ने चाँद पर कदम रखा था,जो कि देश के लिए काफी गर्व का विषय था |

इंदिरा और फिरोज का रिश्ता कैसा था –

इंदिरा गांधी की बायोग्राफी में हमें लिखा हुआ मिलता है की इंदिरा और फिरोज का रिश्ता काफी अच्छा नहीं था उनके मतभेद इतने बढ़ गये थे की इंदिरा और फिरोज अलग रहने लग गये थे यहाँ तक की फिरोज एक मुस्लिम महिला के प्यार में भी पड़ गये थे उस समय इंदिरा दूसरी बार गर्भवती थी लेकिन फिरोज के अंतिम समय में इंदिरा उनके काफी नजदीक थी और दोनों का रिश्ता लड़ते-झगड़ते गुजरा उनके राजनैतिक मतभेद के बारें में अनेक जगहों एंव किताबों में लिखा हुआ मिलता है |

इंदिरा गांधी का मृत्यु कब हुआ तथा इंदिरा गांधी की हत्या किसने की थी –

इंदिरा गाँधी ने एक भाषण अपनी मौत के ठीक एकं दिन पहले दी थी जिसमे इन्होने अपनी मौत का जिक्र किया था किसे पता था इंदिरा अपनी मौत की भविष्य वाणी कर रही है इस भाषण के अगले ही दिन 31 अक्तूबर 1984 को इंदिरा गाँधी RK धवन को कुछ खास निर्देश देकर आगे बढ़ गयी BBC का एक रिपोर्टर उनका इंटरव्यू के लिए इन्तजार कर रहा था इंदिरा गाँधी लॉन के तरफ बढ़ रही थी जहा उनके भरोसे के गार्ड सब इंस्पेक्टर बेअंत सिंह बरार और कांस्टेबल सतवंत सिंह खड़े थे इंदिरा गाँधी या उनके साथ चल रहे लोग कुछ समझ पाते उससे पहले बेअंत सिंह ने इंदिरा गाँधी पर रिवाल्वर से गोली चला दी और सतवंत ने पूरी मशीन गन इंदिरा गाँधी पर खाली कर दी लहू लुहान इंदिरा जमीन पर गिर पड़ी जैसे ये खबर लोगो को लगी पुरे देश में हाहा कार मच गया मौत के संदेशे को कौन टाल सकता है तन से प्राण का पंक्षी उड़ चूका था इंदिरा अनंत में समा गयी लेकिन जो विरासत इंदिरा ने अपने पीछे छोड़ी. वो सदियों तक लोगो को रास्ता दिखाती रही |

Conclusion:- दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने इंदिरा गांधी की जयंती 2022 के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह आर्टिकल आवश्यक पसंद आया होगा, और आज के इस आर्टिकल से आपको अवश्य कुछ मदद मिली होगी। इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

यह भी पढ़ें:- क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है

अगर हमारे द्वारा बताई गई जानकारी अच्छी लगी हो तो आपने दोस्तों को जरुर शेयर करे vidhia.in आप सभी का आभार परघट करता है {धन्यवाद}

Leave a Comment