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LIC IPO Update: जिनकी पॉलिसी लैप्स हो गई है, क्या वे IPO के लिए कर पाएंगे अप्लाई या नहीं

जिनकी पॉलिसी लैप्स हो गई है, क्या वे IPO के लिए कर पाएंगे अप्लाई या नहीं

जिनकी पॉलिसी लैप्स हो गई है, क्या वे IPO के लिए कर पाएंगे अप्लाई या नहीं – LIC IPO: देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) का IPO अब जल्द ही लॉन्च होने वाला है मार्च में इस इश्यू को पब्लिक के लिए खोला जाएगा IPO में लगभग 31.6 करोड़ या 5% शेयर कंपनी बेचेगी इसमें कर्मचारियों और पॉलिसी होल्डर्स को डिस्काउंट मिलेगा आम पॉलिसीधारकों को इसमें सबसे ज्यादा फायदा नजर आ रहा है कंपनी ने 13 फरवरी को SEBI के पास DRHP फाइल किया है खबर है LIC पॉलिसी होल्डर्स के लिए 10% शेयर रिजर्व होंगे लेकिन, फिर भी अगर IPO को लेकर आपके मन में सवाल है तो यहां जानिए सारे जवाब

एलआईसी क्या है –

LIC का पूरा नाम भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India) है। इसकी स्थापना 1 सितम्बर 1956 को की गई थी। उस समय भारत के संसद द्वारा 245 से अधिक बीमा कंपनियों को मिलाकर LIC of India Act पारित किया, तभी से यह भारतीय जीवन बीमा निगम कहलाने लगा। एलआईसी एक सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी बीमा समूह वाली कंपनी है। यह पूर्ण रूप से भारत सरकार के स्वामित्त वाली कंपनी है अर्थात इसका 100% हिस्सेदारी भारत सरकार की है। एलआईसी की 2019 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार 36.65 लाख करोड़ रूपये की सम्पत्ति है।

एलआईसी की 15 से अधिक देशों में शाखाएं है। यह जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, निवेश प्रबंधन, म्यूचुअल फंड जैसे अनेक सेवाएं देता है। एलआईसी इतना ज्यादा Famous है की जब आम आदमी Insurance करवाता है तो वह दूसरों से कहता है मैंने एलआईसी कराया है, भले ही वह आदमी दूसरे Insurance कंपनी का क्यों न कराया हों।

Insurance Sector में पुरे Market Share का 76.28% हिस्सा अकेले LIC का है। सोचिये एलआईसी कितनी बड़ी कम्पनी है।

पॉलिसी होल्डर्स को IPO में कितनी छूट मिलेगी –

पॉलिसी होल्डर्स को कितनी छूट मिलेगी ये अभी तय नहीं है. लेकिन, माना जा रहा है कि उन्हें 5-10% का डिस्काउंट मिल सकता है

आईपीओ क्या है –

जब किसी कंपनी को Fund की आवश्यकता होती है तो उसे फण्ड जुटाने के लिए उसके पास दो रास्ते होते है पहला जनता (आप, मै या कोई और भी ) से धन आमंत्रित करें या बैंक से कर्ज ले। ज्यादातर कंपनी बैंक से कर्ज न जुटाकर जनता के समक्ष public issue जारी करती है।

जब कोई कंपनी जनता (Public) से Fund (पैसा) जुटाना चाहती हो तो वह Share market में Listed होकर अपने कुछ हिस्सेदारी (Share) को Public के सामने पहली बार सार्वजनिक जारी करती है, इस प्रोसेस को प्रारंभिक पब्लिक पेशकश (Initial Public Offering) कहते है जिसे शार्ट टर्म में IPO बोला जाता है।

जब कोई कंपनी आईपीओ लाती है तो उसे Red Herring Prospectus जारी करना होता है जिसमें कंपनी को बताना पड़ता है की आईपीओ से जो पैसे मिलेगा वह उस पैसे का क्या करेगी। किसी कंपनी का रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस SEBI की वेबसाइट पर आसानी से मिल जाता है।

किसी कंपनी द्वारा IPO जारी करने का मतलब वह कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध (Listed) हो गई। सूचीबद्ध होने का मतलब अब कोई भी उस कंपनी के IPO में Invest करके उस कंपनी का हिस्सेदार बन सकता है।

कंपनी के Initial Public Offering (IPO) में जनता द्वारा लगाई गई पूंजी अब सीधे कंपनी के पास जाने लगती है। उस पूंजी से कम्पनी जितना Profit या Loss कमाती है उसी Ratio में जनता को भी उतना Profit या Loss होता है।

जब किसी कंपनी का पहले से आईपीओ ला चुकी हो उसके बाद फिर से जनता को शेयर जारी करती है तो वह FPO (Follow on Public Offer) द्वारा लाएगी। इसे पब्लिक ऑफरिंग भी कहा जाता हैं। संक्षेप में कहे तो IPO पहली बार की प्रक्रिया है वही FPO, आईपीओ के बाद की प्रक्रिया है।

IPO में कम से कम कितने शेयर मिलेंगे –

ये IPO लॉन्च होने के बाद ही पता चलेगा. प्राइस बैंड तय होने के बाद ही यह सुनिश्चित होगा. हालांकि, रिटेल निवेशक अधिकतम 2 लाख रुपए तक के शेयर खरीद सकते हैं |

LIC IPO में निवेश पर अगर शेयर अलॉटमेंट होता है तो क्या टैक्स छूट मिलेगी |

नहीं, ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. भले ही LIC की पॉलिसी में निवेश करने से टैक्स छूट मिलती है. लेकिन, इक्विटी में निवेश पर कोई टैक्स छूट नहीं है. बल्कि, निवेश से कमाए गए मुनाफे पर यहां टैक्स लगेगा |

पॉलिसी होल्डर्स के लिए रिजर्व किए गए हिस्से पर कोई लॉक-इन पीरियड भी लगाया जाएगा
बिल्कुल नहीं, रिटेल निवेशकों के लिए कभी कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता. शेयर मिलने पर आपकी लिस्टिंग के बाद कभी भी शेयर बेच सकते हैं |
ज्वाइंट लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में दोनों पॉलिसी होल्डर IPO के लिए बिड कर पाएंगे या नहीं
दोनों में से कोई एक पॉलिसी होल्डर ही IPO में बिड कर सकता है. पॉलिसी होल्डर का पैन नंबर रिकॉर्ड में अपडेट होना चाहिए |

LIC की लैप्स हो चुकी पॉलिसी के बावजूद क्या पॉलिसी होल्डर IPO में बिड कर पाएंगे –

सभी पॉलिसी होल्डर्स IPO में बोली लगा सकते हैं. जो पॉलिसी मैच्योरिटी, सरेंडर या पॉलिसी होल्डर्स की मृत्यु होने तक LIC के रिकॉर्ड से बाहर नहीं हैं, उन्हें इसमें शामिल किया गया है

क्या LIC पॉलिसी होल्डर्स होने के नाते IPO में शेयर मिलने की गांरटी है –

बिल्कुल नहीं, IPO में शेयर मिलने की कोई गारंटी नहीं होती. यह पूरी तरह से अलॉटमेंट पर निर्भर करता है. आईपीओ में पॉलिसी होल्डर्स को सिर्फ आरक्षण मिल रहा है. शेयर की गारंटी नहीं.

सरकार LIC का IPO क्यों लाना चाहती है –

सरकार अपने राजकोषीय घाटे को कम करने और देश के विकास के लिए 2021-22 बजट में 1.75 लाख करोड़ रुपए विनिवेश (Disinvestment) का लक्ष्य रखा है। वास्तव में Government को विनिवेश से पैसे जुटाने का महत्वपूर्ण जरिया है।

विनिवेश क्या है?: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) से जब Government अपना कुछ हिस्सा बेचती है तो इस प्रोसेस को विनिवेश (Disinvestment) कहते है। जब 1991 ईस्वी में भारत में बहुत बड़ी आर्थिक मंदी आई थी तब से विनिवेश की प्रक्रिया सुरु है।

जैसा की मैंने पहले बताया की LIC का सरकार के पास पूर्ण रूप से मालिकाना हक है। अब सरकार विनिवेश की इस प्रक्रिया से LIC का लगभग 10 प्रतिशत हिस्से का मालिकाना हक घटाना चाहती है। LIC के इस 10 प्रतिशत हिस्से को शेयर बाजार में लिस्टिंग कराकर IPO जारी करेगी। इससे सरकार के पास जो पैसा आएगा वह अन्य कामों में लगाकर देश का विकास करेगी।

2020 के बजट में वित्त मंत्री ने कहा था की LIC और IDBI का IPO द्वारा कुछ शेयर बेचा जायेगा। आपको बतादू की IDBI बैंक LIC का ही पार्ट है।

यह अब तक का देश का सबसे बड़ा IPO है, इस आईपीओ से नए निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ेगी और वे भी एलआईसी में निवेश कर सकते है। इससे सरकार 80 हजार करोड़ रुपए जुटाना चाहती है। कुल मिलाकर देखा जाय तो यह फायदे का सौदा हो सकता है।

यैसा भी नहीं है की सरकारी कंपनी का पहली यह पहली बार IPO जारी हुआ हो, पिछले वर्ष IRCTC का भी ipo निकाला है। LIC का IPO इतना ज्यादा चर्चा में इस लिए है कि यह बहुत बड़ी कंपनी है।

क्या वरिष्ठ नागरिक भी LIC IPO में बिड कर सकते हैं –

बिल्कुल, 18 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति इसमें आवेदन कर सकता है. हालांकि, शर्त है कि आवेदक के पास डीमैट खाता होना चाहिए और पैन नंबर पॉलिसी के साथ रिकॉर्ड में अपडेट होना चाहिए.

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना की पॉलिसी वाले भी LIC IPO में निवेश करने के लिए पात्र होंग-

जी हां, ग्रुप पॉलिसी के अलावा दूसरे सभी पॉलिसी होल्डर्स LIC IPO में मिलने वाले आरक्षण के तहत बिड करने के लिए पात्र हैं. जरूरी शर्तें पूरी करनी होंगी.

क्या IPO में बिना डीमैट खाता खुलवाए भी हिस्सा लिया जा सकता है –

नहीं. LIC ने साफ किया है कि चाहे पॉलिसी होल्डर हो या फिर आम निवेशक, SEBI नियमों के मुताबिक, किसी भी कंपनी के IPO या शेयर खरीदने के लिए डीमैट खाता होना जरूरी है. इसलिए, LIC IPO में निवेश के लिए भी डीमैट खाता जरूरी है.

अगर डीमैट खाता नहीं है और नया खाता खोलना है तो कहां और कैसे खोलें –

NSDL और CDSL दोनों डिपॉजिटरी में से किसी के पास भी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं. इसके अलावा ब्रोकरेज हाउस के पास भी डीमैट खाता खोला जा सकता है. वहीं, से ट्रेडिंग खाता भी खुलता है |

क्या किसी और कंपनी की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के जरिए भी IPO के लिए आवेदन किया जा सकता है

नहीं. सिर्फ LIC पॉलिसी होल्डर्स ही इसमें आरक्षण के तहत हिस्सा ले सकते हैं. बाकी सभी को आम रिटेल निवेशकों की तरह अप्लाई करना होगा |

क्या किसी दूसरे के डीमैट अकाउंट से पॉलिसी होल्डर IPO के लिए आवेदन कर सकता है

नहीं, पॉलिसी होल्डर्स के पास अपना खुद का डीमैट खाता होना अनिवार्य है |

LIC पॉलिसी को पैन नंबर से अब भी लिंक कर सकते हैं –

बिल्कुल कर सकते हैं. इसके लिए LIC की वेबसाइट पर एक कॉर्नर उपलब्ध हैं. अपना पैन नंबर, पॉलिसी नंबर, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी डालकर इसे अपडेट कर सकते हैं. इसके अलावा किसी भी नजदीकी LIC कार्यालय में भी इसे अपडेट कराया जा सकता है

क्या LIC का Privatization हो जायेगा –

LIC का निजीकरण (Privatization) को लेकर कई सारे सवाल उठ रहे है। जैसा की मैंने पहले ही बताया कि सरकार अपने हिस्से का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सेदारी को IPO के माध्यम से अपने शेयर को बेच रही है, इसका ये मतलब नहीं है की LIC बिक गई या इस कंपनी का निजीकरण हो गया। किसी कंपनी का IPO निकालने का मतलब ये नहीं हैं कि वह कंपनी बिक गई।

किसी भी कंपनी के पुरे शेयर का 51 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा जिसके पास होता है वह कंपनी का मालिक होता है। जैसे आज Reliance Company के मालिक मुकेश अंबानी क्यों है? क्योकि उनके पास Reliance Company के 51 प्रतिशत से अधिक के शेयर अकेले उनके पास है।

अब बात आती है LIC की, दोस्तों आपको बतादू की दुनिया के किसी भी कंपनी के पास इतना पैसा नहीं है कि वह एलआईसी के 51 प्रतिशत शेयर को खरीद सके। किसी कंपनी के 51 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी सरकार के पास रहती है तो वह सार्वजनिक क्षेत्र (PSU) की कंपनी कहलाती है यही अगर किसी कंपनी के 51 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी सरकार के आलावा किसी और के पास रहती है तो वह प्राइवेट कंपनी कहलाती है।

हालांकि सरकार का ये भी कहना है की एलआईसी के 10 प्रतिशत हिस्से को घटाने के बाद भी हम पूरा मैनेजमेंट पावर अपने पास ही रखेंगे।

अब आपको पता चल ही गया होगा की LIC का विनिवेश हो रहा है न की निजीकरण। जब सरकार द्वारा विनिवेश होता है तो यह अच्छा माना जाता है लेकिन जब निजीकरण (Privatization) होता है तो उसका विरोध होता है और वह अच्छा नहीं माना जाता है।

ईपीओ क्‍यों है खास –

भारतीय जीवन बीमा निगम एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सर्वव्यापी है। एलआईसी लगभग 300 मिलियन नीतियों और 1.2 मिलियन से अधिक एजेंटों, 100,000 कर्मचारियों, 2,000 शाखाओं और 1,500 उपग्रह कार्यालयों के साथ भारतीय बाजार के दो-तिहाई हिस्से को नियंत्रित करता है। प्रशासन एलआईसी में 5% से 10% की हिस्सेदारी बेचने के लिए प्रयास कर रहा है, जो भारत की सबसे बड़ी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश होगी। 10% हिस्सेदारी वैश्विक बीमा उद्योग में अब तक का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ होगा।

LIC का IPO आने के बाद क्या होगा –

जब भी किसी कंपनी का IPO आता है तो Investor तेजी से उसकी तरह आकर्षित होते है। यही हाल LIC के आईपीओ के साथ होगा। सरकारी कम्पनी होते हुए भी एलआईसी हमेशा Profitable में रही है। इस हिसाब से नए निवेशक भी शेयर बाजार से जुड़ेंगे।

IPO आने के बाद LIC कंपनी की पारदर्शिता बढ़ेगी क्योकि SEBI के नियमों के अनुसार उसे सभी बायो डाटा जनता को बताना पड़ेगा। अभी तक क्या होता था की LIC बाजार में Listed न होने के कारण कम्पनी के अंदर की बाते किसी को पता नहीं चलती थी।

भारत की सबसे बड़ी फाइनेंस कंपनी होने के नाते Investor को भी पैसे कमाने का मौका मिलेगा।

यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा IPO होगा। LIC की Listing होने के बाद Share Market के Reliance, TCS जैसे टॉप कंपनियों को पीछे छोड़ सकती है।

कब आएगा आईपीओ –

सरकार 2022 के पहले तीन महीनों में कुछ समय के लिए लक्ष्य कर रही है। आईपीओ की शुरुआत 1 अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए की गई थी, लेकिन इसमें देरी हुई क्योंकि महामारी के दौरान भारत के कठोर नियमों ने आईपीओ के काम की गति को बाधित कर दिया।

एलआईसी की कीमत क्या हो सकती है –

सरकार 8 ट्रिलियन से 10 ट्रिलियन रुपये (135 बिलियन डॉलर) के मूल्यांकन की मांग कर रही है। उस स्तर पर, 5% हिस्सेदारी की बिक्री भी इसे भारत का सबसे बड़ा आईपीओ बना देगी और 10% कमजोर पड़ने से यह दुनिया में कहीं भी बीमाकर्ता को शामिल करने वाला दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ बन जाएगा। जेफरीज इंडिया के विश्लेषकों ने कहा है कि एलआईसी का मूल्यांकन 19 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। आरबीएसए सलाहकारों के एक सहित अन्य अनुमानों ने मूल्य को 10 ट्रिलियन से 11.6 ट्रिलियन रुपये के दायरे में रखा है।

LIC के इस IPO से पालिसी होल्डर का क्या होगा –

भारतीय जीवन बीमा निगम को लोग भरोसेमंद मानते है, एलआईसी की बहुत सारी पालिसी पर अच्छा Return मिला है। कंपनी के इस IPO का सबसे ज्यादा विरोध एलआईसी के Policy Holder का है क्योकि उन्हें लगता है हमारा पैसा डूब जायेगा। चलिए अब हम आपको बताते है।

1956 के LIC Act में कहा गया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम शेयर मार्किट में कभी भी नहीं आएगी। इसमें 100% हिस्सेदारी हमेसा भारत सरकार का ही रहेगा। अब एलआईसी का आईपीओ लेन से पहले संसद द्वारा 1956 LIC Act में संसोधन करना होगा। लेकिन इसके बाद भी सरकार ने कहा है की हम पालिसी धारकों (Policy Holder) का Sovereign Guarantee अपने पास ही रखेंगे। अर्थात एलआईसी रहे न रहे, सरकार सभी पालिसी होल्डर के पैसे की जिम्मेदारी लेती है।
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सरकार क्यों बेच रही है हिस्सेदारी –

दरअसल सरकार ने अपनी विभिन्न सम्पत्तियों में 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का टारगेट तय किया हुआ है। एलआईसी का आईपीओ भी उसी विनिवेश का ही एक हिस्सा है और एलआईसी में विनिवेश के बिना इस टारगेट को पूरा नहीं किया जा सकता है। इस कारण सरकार इसके हिस्‍सेदारी को बेचना चाहती है।

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