मात्र 25 हजार रु में अपना बना सकते हैं यह स्कूटर पसंद न आने पर 7 दिनों के अंदर वापस लें पूरा पेमेंट
– हर किसी की सफलता की कहानी में दोस्तों का अहम रोल होता है। शुभचिंतकों और अपने प्रियजनों के अभाव में कोई व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता है। हम अपने परिवार को नहीं चुन सकते हैं, क्योंकि वह हमें नैसर्गिक रूप से मिलता है। लेकिन हम अपने दोस्तों को जरूर चुनते हैं। हर एक बच्चा जो नर्सरी से शुरुआत करता है, बाद में सेकेंडरी स्कूल जाता है, फिर कॉलेज और उसके बाद इंटर्नशिप करके नौकरी करने लगता है, उसकी जिंदगी के हर मोड़ पर उसका अपना एक फ्रेंड सर्किल होता है, और इन सभी का उसकी जिंदगी में अलग महत्व होता है। ऐसी स्थिति में एक-दूसरे के ऊपर विश्वास कर पाना है बेहद मुश्किल,
अलग-अलग उम्र में बनने वाले ये दोस्त हमारे चरित्र निर्माण में मदद करते हैं और हमारी जिंदगी में कई तरह की खुशियां लाते हैं। आपको जरूरत हो या ना हो, दोस्त हमेशा आपके साथ रहते हैं। वह पुरानी कहावत आपने सुनी होगी कि दोस्त वही है जो मुसीबत में काम आए। जब दोस्तों को यह पता चलता है कि उसके किसी खास दोस्त के साथ कुछ बुरा हुआ है, तो वे खुद पहुंच जाते हैं। वे किसी का इंतजार नहीं करते हैं। दुनिया और इतिहास गवाह है कि लोगों ने दोस्ती को लेकर बड़ी-बड़ी कसमें खाई और निभाई हैं।
दोस्ती के कुछ मशहूर किस्सों जैसे कि कृष्ण और सुदामा, कर्ण और दुर्योधन, थॉमस एडिसन और हेनरी फोर्ड, एला फिजराल्ड और मर्लिन मुनरो आदि के बारे में हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। महाभारत में दुर्योधन जैसे बुरे चरित्र के साथ एक अच्छाई भी जुड़ी है। वह है कर्ण के साथ उसकी मित्रता। दुर्योधन ने कर्ण को समाज में वह सम्मान दिलाया, जिसके लिए कर्ण तरसता रहा थे। उसी तरह कर्ण ने भी हर परिस्थिति में दुर्योधन का साथ दिया। भले ही कई बार कर्ण उससे वैचारिक रूप से सहमत नहीं होता था, तब भी उसने अपनी मित्रता के लिए खुद को न्यौछावर कर दिया।
हर काल में मित्रता को एक विशेष सम्मान मिला है। रामायण काल में राम और निषादराज, सुग्रीव और हनुमान की मित्रता प्रसिद्ध रही है। तुलसीदास जी ने भी लिखा है, ‘धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। आपद काल परखिये चारी।’ अर्थात धैर्य, धर्म, मित्र और नारी को आपदा के वक्त परखना चाहिए। जो मित्र विपत्ति में आपकी सहायता करे, आपको मंझधार में न छोड़ दे, वैसे मित्र को ही तुलसीदास जी ने सच्चा मित्र कहा है।
दोस्तों से बात करने या मिलने के लिए अपॉइंटमेंट लेने की जरूरत नहीं होती है। वे बारहो महीने, चौबीसों घंटे आपके लिए उपलब्ध होते हैं। जब आपका मन किया, तभी आप उन्हें कॉल करके अपने दिल की बात शेयर कर सकते हैं। मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जो अपने परिवार के साथ उतने खुश नहीं रहते हैं, जितने कि दोस्तों के साथ रहते हैं। वे दोस्तों को ही अपने परिवार का हिस्सा बना लेते हैं। दोस्त आपकी जिंदगी में खुशियां तो लाते ही हैं, साथ में आपको स्वस्थ भी रखते हैं। उनका साथ आपको डिप्रेशन और डर से दूर रखता है और आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है। आपके दोस्त ही आपकी मजबूती हैं और वही आपका सहारा भी हैं। जब आप दुखी या निराश होते हैं तो आपके दोस्त ही तो हैं जो आपकी बात को इत्मीनान से सुनते हैं और तब जाकर आपका मन हल्का होता है। तो खूब दोस्त बनाइए क्योंकि इन्हीं से जीवन में सुख है।
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