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नदी के नीचे से निकला 3400 साल पुराना शहर, देखने के लिए उमड़ी भीड़

नदी के नीचे से निकला 3400 साल पुराना शहर, देखने के लिए उमड़ी भीड़

नदी के नीचे से निकला 3400 साल पुराना शहर, देखने के लिए उमड़ी भीड़ – धरती के गर्भ में ऐसी-ऐसी चीजें दफन हैं, जिनके बारे में हम आज भी अनजान हैं. लेकिन समय-समय पर कुछ ऐसी चीजें बाहर आ जाती हैं जो हमें पुराने इतिहास से रूबरू कराती हैं हाल ही में इसकी एक झलक इराक के कुर्दिस्तान प्रांत में देखने को मिली. जहां पुरातत्वविदों ने 3,400 साल पुराने एक शहर का पता लगाया है इस शहर के बारे में ऐसी-ऐसी जानकारियां निकलकर सामने आईं हैं, जो किसी को भी अचंभित कर सकती हैं फिलहाल, इस साइट को देखने के लिए पुरातत्वविदों के साथ-साथ आम लोगों की भी भीड़

पुरातत्वविदों ने बताया है कि 3,400 साल पुराना ये शहर टिगरिस नदी के नीचे से मिला है कांस्य युग के इस प्राचीन शहर को मित्तानी साम्राज्य ने 1475 ईसा पूर्व और 1275 ईसा पूर्व के बीच बसाया था, जिसने उत्तरी मेसोपोटामिया के कुछ हिस्सों पर शासन किया था |

भूकंप में पूरी तरह से बर्बाद हो गया था

हाल ही में कुर्द और जर्मन शोधकर्ताओं की एक टीम को इस शहर में स्थित एक गांव के अवशेष मिले आशंका जताई जा रही है कि ये 1350 ईसा पूर्व के दौरान भूकंप में पूरी तरह से बर्बाद हो गया था लेकिन इसके कुछ खंडहर ढह गई दीवारों के नीचे संरक्षित हैं 1980 के दशक में मोसुल बांध के निर्माण के दौरान यह इलाका जलमग्न हो गया. हालांकि, तब भी शोधकर्ताओं को इसके बारे में पता था, लेकिन पानी में डूबे होने के कारण जांच नहीं की जा सकी थी |

प्राचीन शहर के अवशेष

शोधकर्ताओं को शहर के अवशेषों के बारे में लंबे समय से पता था, लेकिन वे केवल सूखे के दौरान ही इसकी जांच कर सकते थे, क्योंकि शहर पूरी तरह से जलमग्न था अभी इराक का ये इलाका अत्यधिक सूखे की मार झेल रहा है इसीलिए जब प्राचीन शहर पानी से बाहर सतह पर आया तो एक बार फिर से इसकी (Kemune) जांच शुरू की गई है Kemune मितानी साम्राज्य का एकमात्र ज्ञात शहरी केंद्र है, जो टिगरिस नदी पर स्थित है |

2018 में भी खुदाई हुई थी

Live Science के मुताबिक, पुरातत्वविदों ने 2018 में भी आंशिक रूप से इसकी खुदाई की थी तब उन्हें 22 फुट ऊंची दीवारों और पेंटिंग्स से सजाए गए कई कमरों वाले एक महल का पता चला था. लेकिन इस बार शहर की खुदाई करते वक्त पुरातत्वविदों ने एक महल और कई विशालकाय इमारतों की खोज की है

इनमें कई बहुमंजिला इमारतें भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि इनका इस्तेमाल संभवतः भंडारण या उद्योग-धंधों के लिए किया जाता रहा होगा प्राचीन शहर के अवशेषों में चीनी मिट्टी के बर्तन, 100 से अधिक अभिलेखागार भी मिले हैं

इतने लंबे समय तक पानी में डूबे होने के बावजूद इस शहर की दीवारें अच्छी तरह संरक्षित हैं ये देखकर खोजकर्ता हैरान हैं कुर्दिस्तान पुरातत्व संगठन के अध्यक्ष और साइट पर काम करने वाले पुरातत्वविद् हसन कासिम ने कहा- ‘खुदाई के नतीजे बताते हैं कि ये साइट मित्तानी साम्राज्य में एक महत्वपूर्ण केंद्र रही होगी |

फिलहाल इस खुलासे के बाद इराक के कुर्दिस्तान प्रांत में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरातत्ववेत्ताओं का जमावड़ा लग गया है कहा जा रहा है कि ये कांस्य युग का गांव है, जो पानी का स्तर कम होने के बाद सतह पर आया है पुरातत्वविदों की माने तो अभी और भी खुलासे होने बाकी हैं जिससे हजारों साल पुराने मित्तानी साम्राज्य और तब के रहन-सहन, खान-पान, बोलचाल आदि के बारे में जानने को मिल सकता है |

अब डीटेल में समझते हैं कि खुदाई में क्या मिला और उनका महत्व क्या है? सबसे पहले जानिए मिला क्या 

10 फीट ऊंची ज्यों की त्यों खड़ी दीवारें।
प्रशासनिक इलाके घेरे सांप जैसी दीवार।
रास्तों के किनारे-किनारे बने मकान।
दफन किए गए एक शख्स की कब्र।
कमरों के भीतर दफन की गई गाय और बैल की कब्र।
एक बड़ी बेकरी, जिसमें भट्ठी और स्टोरेज है।
मिट्टी की ईंट बनाने की कार्यशाला।
कांच और धातु को ढालने के लिए सांचे।
काले कीट यानी गुबरैला जैसे प्राचीन मिस्र के पवित्र ताबीज और अंगूठियां।
रंगीन मिट्टी के बर्तन।
शराब के घड़े
मिट्टी की ईंटें, जिन पर अमेनोटेप-3 की कारतूश अंकित हैं। (कारतूश प्राचीन मिस्र की वो अंडाकार चित्रलिपि थी जिन पर कोई शाही नाम ही लिखा होता था)
कताई और बुनाई करने वाले औजार।
सजावटी कलाकृति
शहर का नाम एटन है और अमेनोटेप-3 ने इसे बसाया था

एटन को बसाने वाला अमेनोटेप-3 मिस्र के 18वें राजवंश का नौवां फैरों था। वह ईसा पूर्व 1391 से ईसा पूर्व 1353 के बीच सत्ता में था। इसे मिस्र का सुनहरा दौर कहा जाता है। तब मिस्र अपनी शक्ति और सांस्कृतिक देन में चरम पर था। पुरातत्वविद हावास का कहना है कि यह प्राचीन मिस्र का सबसे बड़ा प्रशासनिक और औद्योगिक शहर था। अब तक किसी भी पुरातन शहर की खुदाई में इतनी भारी मात्रा में मिट्टी के बर्तन और ऐसी कलाकृति नहीं मिली हैं।

दक्षिणी हिस्से में मिली बड़ी बेकरी, कर्मचारियों के लिए बनता था खाना

शहर के दक्षिणी हिस्से में एक बड़ी बेकरी यानी रसोई घर भी मिला है। जिसमें खाना पकाने और तैयारी करने की जगह है। यहां भट्ठी और मिट्टी के बर्तन रखने की जगह है। इस बेकरी के आकार को देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि यह बड़ी संख्या में कर्मचारियों को खाना मुहैया कराने के काम आती थी।

उत्सव मनाने के लिए मांस रखने के कंटेनर पर दर्ज मिली खास जानकारी

पुरातत्वविदों को शहर में मिट्टी का एक कंटेनर मिला है, जिसमें तकरीबन 10 किलो सूखा या उबला हुआ मांस रखा था। इस पर लिखा है, “वर्ष 37, यह सजा हुआ मीट तीसरे हेब सेड उत्सव के लिए खा (Kha) की पशु-शाला वाले बूचड़खाने लाया गया, जिसे कसाई लुवी ने तैयार किया है।” हेब सेड उत्सव प्राचीन मिस्र में फैरों का शासन बरकरार रखने के लिए मनाया जाता था। पुरातत्वविद जही हावास का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है। इसमें दो लोगों के नाम हैं जो अमेनोटेप -3 और उसके बेटे अखेनातेन के सह-शासन के दौरान शहर में रहते और काम करते थे

दफनाए गए इंसान के पैर रस्सी से बंधे थे और हाथों के पास थे हथियार

खुदाई में एक शख्स की कब्र भी मिली, जिसमें दफन शख्स के हाथों के पास हथियार रखे थे। उसके पैर रस्सी से बांधे गए थे। दफन करने का यह तरीका परंपरा से काफी अलग माना जा रहा है। इसी तरह एक गाय और बैल भी कमरों के भीतर अलग तरीके से दफन मिले हैं।

जिग-जैग दीवार से आने-जाने का सिर्फ एक ही रास्ता

शहर के दूसरे हिस्से की खुदाई जांच अभी चल रही है, लेकिन यह हिस्सा प्रशासनिक और आवासीय नजर आ रहा है। इसमें सोच-सझकर बनाए गए बड़े भवन नजर आ रहे हैं। इस इलाके को घेरकर बनाई गई जिग-जैग आकार की एक व्यवस्थित दीवार भी मिली है। करीब 10 फीट ऊंची इस दीवार को केवल एक ही जगह से पार किया जा सकता है। यह दीवार नियंत्रित सुरक्षा व्यवस्था का सबूत है।

शहर के तीसरे इलाके में वर्कशॉप मिलीं

शहर के तीसरे इलाके में कारखाने भी मिले हैं, जिनमें मिट्टी की ईंट बनाने की जगह भी शामिल है। पुरातत्वविदों को यहां ढालने के लिए सांचे यानी कास्टिगं मोल्ड्स भी मिले हैं। यहां शायद ताबीज और नाजुक सजावटी चीजें बनती थी। यहां कताई और बुनाई के उपकरणों के साथ धातु और कांच से सामान बनाने के भी सबूत मिले हैं।

अभी पूरी खुदाई होना बाकी, पांच साल लग सकते हैं

पुरातत्वविद हावास का कहना है कि शहर में मंदिर और कब्र, दोनों की सजावट का सामान बनाने के लिए व्यापक गतिविधियों के सबूत मिले हैं। हालांकि शहर के इस उत्तरी हिस्से की पूरी खुदाई अभी होनी है। उन्होंने बताया कि खुदाई सितंबर 2020 में शुरू हुई थी। इसे पूरा होने में पांच साल तक का समय लग सकता है।

आखिर में खाली कर दिया गया था एटन

एटन को अंततः खाली कर 400 किमी उत्तर में अमरना में बसाया गया था। इसकी वजह आज भी पुरातत्वविदों के लिए पहेली बनी हुई है।

Conclusion:- दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने नदी के नीचे से निकला 3400 साल पुराना शहर, देखने के लिए उमड़ी भीड़ के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह आर्टिकल आवश्यक पसंद आया होगा, और आज के इस आर्टिकल से आपको अवश्य कुछ मदद मिली होगी। इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

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