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राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस क्यों मनाया जाता है

2 सितंबर को कौनसा दिवस मनाया जाता है

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस क्यों मनाया जाता है : नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के बारे में सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए अनेकों प्रकार की कदम उठाए हैं प्रदूषण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है प्रदूषण एक ऐसी समस्या उत्पन्न हो रही है जो पूरे विश्व के लिए बहुत घातक हो सकती है इन्हीं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अनेकों प्रकार के नियम और प्रदूषण को कम करने के अनेकों प्रकार के उपाय कीये जा रहे हैं प्रदूषण सबसे ज्यादा कैसे फैलता है, प्रदूषण के प्रमुख हानिकारक कारण, प्रदूषण से कौन सी कौन सी बीमारी हो सकती है, प्रदूषण से कैसे बचे, प्रदूषण के समय कौन कौन से फ्रूट खाना चाहिए, आदि सभी बिंदु पर आज हम विस्तार से बात करेंगे और प्रदूषण मुक्त भारत बनाएंगे

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस क्यों मनाया जाता है

हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। प्रदूषण बढ़ने से पैदा होने वाली समस्याओं के बारे में इस मौके पर जागरुकता पैदा की जाती है।
प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिससे न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया परेशान है। प्रदूषण उस स्थिति को कह सकते हैं जब प्राकृतिक संसाधन जैसे हवा, पानी और खाने की चीजें शुद्ध नहीं रह जाए। उनमें ऐसी गंदगी फैल जाए जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। प्रदूषण कई कारणों से होता है जैसे पटाखों का फोड़ा जाना, सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां, बमों का फटना, उद्योग के माध्यम से गैसों का रिसाव आदि। मौजूदा समय में प्रदूषण की समस्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। यह सरकार और आम जनता की जिम्मेदारी है कि प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय करें। हमें प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए योजनाएं बनानी होंगी और उस पर अमल करना होगा।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का उद्देश्य –

इसका मुख्य रूप से मकसद लोगों को जागरूक बनाना, जल, वायु, मृदा और ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के बीच जागरुकता फैलना है। दरअसल इसको भोपाल गैस त्रासदी की याद में मनाया जाता है। भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी थी जिसमें ‘मिथाइल आइयोसाइनेट’ नाम की जहरीली गैस के रिसाव की वजह से बड़े पैमाने पर तबाही फैली।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का इतिहास –

राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस मनाने के पीछे का इतिहास भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा हुआ है। भोपाल में 1984 में हुई गैस त्रासदी के बाद ही राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस की शुरुआत की गयी थी। 2 और 3 दिसम्बर को भोपाल के यूनियन कार्बाइड प्लांट से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के निकलने की वजह से लगभग 5 लाख लोगों की जान चली गयी थी। यह घटना रात के समय हुई, जिस समय सभी लोग सो रहे थे और फिर उस रात के बाद वह लोग कभी नहीं जगे। बाद में भोपाल सरकार ने पूरी घटना की रिपोर्ट पेश की, जिसमें बताया गया कि 2,259 लोग ऐसे थें जिनकी तुरंत ही मौत हो गयी थी। घटना के 72 घण्टों में लगभग 8 से 10 हज़ार लोगों की मौत हुई थी। साथ ही गैस त्रासदी से संबंधित बीमारियों से लगभग 25000 लोगों ने अपनी जाने गंवायी थीं। यह पूरे विश्व में इतिहास की सबसे बड़ी ‘औद्योगिक प्रदूषण आपदा‘ के रूप में जाना जाता है।

भोपाल गैस त्रासदी –

2 दिसंबर, 1984 को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कंपनी से एमआईसी गैस का रिसाव हुआ था। इस घटना में हजारों लोगों की मौत हो चुकी थी। लोगों का सामूहिक रूप से दफनाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। कुछ ही दिन के अंदर 2,000 के करीब जानवरों के शव को विसर्जित करना पड़ा। आसपास के इलाके के पेड़ बंजर हो गए। अस्पतालों और अस्थायी औषधालयों में मरीजों की भीड़ लग गई। एक समय में करीब 17,000 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तुरंत 2,259 लोगों की मौत हो गई थी। मध्य प्रदेश सरकार ने गैस रिसाव से होने वाली मौतों की संख्या 3,787 बताई थी। 2006 में सरकार ने कोर्ट में एक हलफनामा दिया। उसमें उल्लेख किया कि गैस रिसाव के कारण कुल 5,58,125 लोग जख्मी हुए। उनमें से 38,478 आंशिक तौर पर अस्थायी विकलांग हुए और 3,900 ऐसे मामले थे जिसमें स्थायी रूप से लोग विकलांग हो गए। समस्या दुर्घटना के समय तक ही सीमित नहीं थी बल्कि अब तक उसका असर पड़ रहा है। पैदा होने वाले बच्चों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

प्रदूषण के खतरे से बचाने में मददगार हैं ये फूड्स –

1. हरी पत्तेदार सब्जियां –
हरी पत्तेदार सब्जियां सिर्फ प्रदूषण से ही बचाने का काम नहीं करती बल्कि शरीर के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है. सब्जियां, चौलाई का साग, गोभी और शलजम में विटामिन्स के तत्व पाए जाते हैं जो आपको कई बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती हैं |

2. काली मिर्च –
काली मिर्च में विटामिन और मिनरल्स के गुण पाए जाते हैं. काली मिर्च को चाय में डालकर इस्तेमाल कर सकते हैं काली मिर्च पाउडर और शहद को मिलाकर सेवन करने से प्रदूषण के कारण सीने में जमा हुए कफ से निजात पाया जा सकता है

3. अदरक –
अदरक को औषधीय गुणों का खजाना कहा जाता है. अदरक खाने से इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है. ये प्रदूषण से बचाने में मदद कर सकता है. अदरक को आप चाय या शहद के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं

4. आंवला – प्रदूषण से बचने के लिए आप अपनी डाइट में आंवला शामिल कर सकते हैं. आंवला को विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत माना जाता है. विटामिन सी शरीर के लिए सबसे शक्तिशाली एंटी-ऑक्सिडेंट है, जो फ्री रैडिकल की सफाई करने में मदद कर सकता है

5. संतरा –
संतरा विटामिन सी का अच्छा सोर्स माना जाता है. जो आपको प्रदूषण से बचाने में मदद कर सकता है. संतरे के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है जो प्रदूषण से होने वाले खतरे से बचाने में मदद कर सकता है
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस क्यों मनाया जाता है –

हर साल राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाने के प्रमुख कारकों में से एक औद्योगिक आपदा के प्रबंधन और नियंत्रण के साथ ही पानी, हवा और मिट्टी के प्रदूषण (औद्योगिक प्रक्रियाओं या मैनुअल लापरवाही के कारण उत्पन्न) की रोकथाम है। सरकार द्वारा पूरी दुनिया में प्रदूषण को गंभीरता से नियंत्रित करने और रोकने के लिए बहुत से कानूनों की घोषणा की गयी। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल 2 दिसंबर को प्रदूषण नियंत्रण अधिनियमों की आवश्यकता की ओर बहुत अधिक ध्यान देने के लिये लोगों को और सबसे अधिक उद्योगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सभी अच्छे और खराब कार्यों के नियमों और कानूनों की राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (NPCB) या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जाँच की जाती है जो भारत में प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकारी निकाय है। ये हमेशा जाँच करता है कि सभी उद्योगों द्वारा पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों का सही तरीके से उपयोग किया जा रहा है या नहीं। महाराष्ट्र में अपना स्वंय का नियंत्रण बोर्ड है जिसे महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) कहा जाता है, ये प्रदूषण नियंत्रण की तत्काल आवश्यकता के रुप में है, क्योंकि ये उन बड़े राज्यों में से एक है जहाँ औद्योगीकरण की दर बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। प्राकृतिक संसाधन जैसे जल, वायु, भूमि या वन विभिन्न प्रकार के प्रदूषण द्वारा तेजी से प्रभावित हो रहे हैं जिन्हें सही तरीके से नियमों और विनियमों को लागू करके तुरंत सुरक्षित करना बहुत जरुरी है। नियंत्रण के क्या उपाय हैं शहरी अपशिष्ट जल उपचार और पुन: उपयोग परियोजना ठोस अपशिष्ट और उसके प्रबंधन का वैज्ञानिक उपचार अपशिष्ट के उत्पादन को कम करना सीवेज उपचार सुविधा कचरे का पुन: उपयोग और अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन। जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा इलेक्ट्रॉनिक कचरे की उपचार सुविधा जल आपूर्ति परियोजना संसाधन रिकवरी परियोजना ऊर्जा की बचत परियोजना शहरी क्षेत्रों में खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन स्वच्छ विकास तंत्र पर परियोजनाएं। प्रदूषण रोकने के लिये नीति, नियमों के उचित कार्यान्वयन और प्रदूषण के सभी निवारक उपायों के साथ ही राज्य सरकार द्वारा कई अन्य प्रयास किये गए हैं। उद्योगों को सबसे पहले प्रदूषण को कम करने के लिए प्राधिकरण द्वारा लागू किये गये सभी नियमों और विनियमों का पालन करना होगा।

वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के आंकड़े –

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को जानने के लिए यह दिन काफी अहम है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार हर साल 7 मिलियन लोग वायु प्रदूषण के कारण जान गंवाते हैं। स्क्रॉल इन की अक्टूबर 2020 की रिपोर्ट में बताया गया कि 2019 में तकरीबन 116,000 शिशुओं की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हुई थी। साथ ही वायु प्रदूषण की वजह से हर 5 मिनट में किसी शिशु की मौत होती है। सालाना तकरीबन 1.7 मिलियन लोगों की मौत वायु प्रदूषण से होती हैं। वहीं विश्वभर में 6.7 मिलियन लोगों की हर साल मौत होती है। वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों में, अब यह चौथे नंबर पर है।

बढ़ते वायु प्रदूषण से दिल की बीमारी, कैंसर, सांस लेने में तकलीफ़ आदि समस्याएं पैदा होती है या ये कहें कि बढ़ते प्रदूषण ने ऐसा कर दिया है। शहरों में ज़्यादा बुरा हाल है। कारखानों और गाड़ियों से निकलने वाली हानिकारक गैसें सीधे हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस के शुरुआत के इतने सालों के बाद भी प्रदूषण का स्तर वैसा ही है। यह कहना ज़्यादा बेहतर होगा कि पहले से भी ज़्यादा बढ़ गया है। यहां सरकार के साथ हमें भी यह ध्यान देना ज़रूरी है कि हमारे किन कामों की वजह से प्रदूषण बढ़ सकता है या कम हो सकता है। इसके लिए अगर हम साथ मिलकर कोशिश करे, तभी कुछ हो सकता है।

प्रदूषण का असर और सरकारी कदम –

हर साल 14 अरब टन कचरा समुद्र में फेंक दिया जाता है, जिसमें अधिकतर पर्यावरण के लिए घातक प्लास्टिक होता है। हर साल एक लाख से अधिक समुद्री पक्षी और एक लाख समुद्री स्तनधारी प्रदूषण के कारण मारे जाते हैं। चीन कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा उत्सर्जक है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान आता है। भूजल में 73 अलग-अलग तरह के पेस्टिसाइड (कीटनाशक) पाए जाते हैं, जो पीने के पानी का मुख्य स्रोत है। नासा जब एक अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण करता है, तो करीब 28 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। एक औसत कार प्रतिमाह लगभग आधा टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करती है। 2010 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और 13 बड़े शहरों में चार पहिया वाहनों के लिए स्टेज-4 उत्सर्जन नियम लागू किया गया। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली में सार्वजनिक वाहनों के लिए कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) का इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार ने एक जुलाई 2010 से कोयला खदानों में क्लीन एनर्जी सेस लगाने का ऐलान किया, ताकि कार्बन फुटप्रिंट कम करने और दूषित जगह को स्वस्थ बनाने में मदद मिले। घर में टीवी और म्यूजिक प्लेयर की आवाज ज्यादा नहीं रखोगे। पटाखों का इस्तेमाल कम करोगे और कूड़ा-कचरा नहींजलाओगे, बल्कि उसे नियत स्थान पर डालोगे। नालों, कुओं, तालाबों, नदियों में गंदगी नहीं बहाओगे और पानी की हर एक बूंद को बचाकर रखोगे। प्लास्टिक की थैलियां आदि रास्ते में नहीं फेंकोगे।

नियंत्रण के क्या उपाय हैं –

1. शहरी अपशिष्ट जल उपचार और पुन: उपयोग परियोजना
2. ठोस अपशिष्ट और उसके प्रबंधन का वैज्ञानिक उपचार
3. अपशिष्ट के उत्पादन को कम करना
4. सीवेज उपचार सुविधा
5. कचरे का पुन: उपयोग और अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन।
6. जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा
7. इलेक्ट्रॉनिक कचरे की उपचार सुविधा
8. जल आपूर्ति परियोजना
9. संसाधन रिकवरी परियोजना
10. ऊर्जा की बचत परियोजना
11. शहरी क्षेत्रों में खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन
12. स्वच्छ विकास तंत्र पर परियोजनाएं।

भारत के ऐसे कौन से कानून हैं जो देश में प्रदूषण को रोकते और नियंत्रित करते हैं –

1. भारत सरकारने भारत में प्रदूषण को नियंत्रित करने और रोकने के लिए कई नियम और अधिनियम शुरू किए। वे इस प्रकार हैं
2. पर्यावरण प्रभाव आकलन 2006
3. महाराष्ट्र बायोडिग्रेडेबल कचरा नियंत्रण अध्यादेश 2006
4. बैटरी प्रबंधन और हैंडलिंग नियम 2001
5. नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और हैंडलिंगनियम 2000
6. शोर प्रदूषण नियमन और नियंत्रण नियम 2000
7. ओजोन घटते पदार्थ विनियमन नियम 2000
8. पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक निर्माण और उपयोग नियम1999
9. बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट और हैंडलिंग रूल्स 1998 .
10. रासायनिक दुर्घटना आपातकाल तैयारियाँ योजना और प्रतिक्रिया नियम1996 राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण अधिनियम 1995
11. खतरनाक सूक्ष्म जीवों या कोशिकाओं के नियम, 1989 के निर्माण आयात. भंडारण निर्यात और खतरनाक
12. सूक्ष्म जीवों का भंडारण
13. खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन और हैंडलिंग खतरनाक रासायनिक नियमों का निर्माण, आयात और भंडारण 1989
14. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम1986
15. पर्यावरण संरक्षण नियम 1986
16. वायुरोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981
17. जल रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1977

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