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कार्तिक पूर्णिमा कब है

गंगा स्नान कब है 2021 november,

कार्तिक पूर्णिमा कब है : नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं कार्तिक पूर्णिमा के बारे में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हमें कौन-कौन से कार्य करने चाहिए, एवं कार्तिक पूर्णिमा के दिन किन चीजों को करने से हमें ज्यादा दान पुण्य मिलता है, और पूर्णिमा के दिन किस जगह पर तीर्थ करना चाहिए, आदि सभी बिंदु को आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से विस्तार से पढ़ने वाले हैं |कार्तिक पूर्णिमा कब है,

कार्तिक पूर्णिमा क्या है

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार साल में एक दिन ऐसा भी आता है जब देवी-देवता स्वर्ग से उतर कर पृथ्वी पर आते हैं ये दिन कब आने वाला है, जानते हैं कार्तिक मास को हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्रदान किया गया है दिवाली का पर्व भी कार्तिक मास में ही मनाया जाता है दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है देव उठानी एकादशी भी कार्तिक मास में ही आती है माना जाता है कि कार्तिक मास भगवान विष्णु के प्रिय मास में से एक है कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा का भी विशेष धार्मिक महत्व है इसे कार्तिक पूर्णिमा भी कहा जाता है |कार्तिक पूर्णिमा कब है,

कार्तिक पूर्णिमा कब है 2021 –

18 नवंबर से पूर्णिमा की तिथि प्रारंभ हो रही है. पूर्णिमा की पूजा, दान और व्रत की प्रक्रिया किस दिन पूर्ण की जाएगी, जानते हैं:
1. कार्तिक पूर्णिमा तिथि का आरंभ- 18 नवंबर 2021, दोपहर 12:00 बजे से
2. कार्तिक पूर्णिमा तिथि का समापन- 19 नवंबर 2021, दोपहर 02:26 पर
3. कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय- 17:28:24
4. कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 19 नवंबर को मनाया जाएगा कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और दीपदान करना शुभ और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है. इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना गया है इस दिन दान, यज्ञ और मंत्र जाप का भी विशेष महत्व बताया गया है |

कार्तिक पूर्णिमा पर पृथ्वी पर आते हैं देवता –

पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर स्वर्गलोक से देवी-देवता पृथ्वीलोक पर आते हैं और वाराणसी के गंगा घाट पर स्नान करते हैं कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है इस दिन देवताओं के धरती पर आने की खुशी में घाटों को दीयों से रोशन किया जाता है इतना ही नहीं, इस दिन घर के अंदर और बाहर दीप जलाने के परंपरा है इस तिथि ये पर्व भी मनाए जाते हैं:
1. तुलसी पूजा – कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व है तुलसी पूजा से लक्ष्मी जी की भी कृपा प्राप्त होती है
2. गुरु नानक देव जयंती – इस दिन गुरुनानक देव जी की जयंती भी मनाई जाती है |
3. मत्स्य अवतार – मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. इसे विष्णु जी का पहला अवतार भी माना गया है
4. त्रिपुरारी पूर्णिमा – कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था

कार्तिक पूर्णिमा भगवान की पूजा का विशेष महत्व –

पूरे साल भर में से कार्तिक पूर्णिमा को ही भगवान कार्तिकेय जी के ग्वालियर स्थित मन्दिर के कपाट खुलते हैं और उनकी पूजा- अर्चना की जाती है । बाकी साल भर मन्दिर के कपाट बंद रहते हैं ।

पौराणिक तथ्यों के आधार पर एक बार कार्तिकेय जी के द्वारा उनके दर्शन न किये जाने के श्राप से परेशान मां पार्वती और शिवजी ने कार्तिकेय जी से प्रार्थना की और कहा कि वर्षभर में कोई एक दिन तो होगा, जब आपका दर्शन-पूजन किया जा सके। तब भगवान कार्तिकेय ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने दर्शन की बात कही । इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिकेय जी के दर्शन-पूजन का इतना महत्व है।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि –

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर गंगा स्नान या घर पर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। स्नान करने के बाद हाथ में कुश लें और दान देते हुए संकल्प लें। इससे आपको पूरा लाभ मिलेगा। इस दिन व्रत रखें। अगर नहीं हो सकता है तो कम से कम 1 समय तो जरूर रखें। इसके बाद श्री सूक्त और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करते हुए हवन करें। इससे महालक्ष्मी प्रसन्न होगी। रात को विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद सत्यनारायण की कथा सुनें या पढ़े। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती उतारने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दें।

कार्तिक पूर्णिमा कथा –

पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नाम का एक राक्षस था। उसके तीन पुत्र थे – तारकक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली। भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिक ने तारकासुर का वध किया। अपने पिता की हत्या की खबर सुन तीनों पुत्र बहुत दुखी हुए। तीनों ने मिलकर ब्रह्माजी से वरदान मांगने के लिए घोर तपस्या की। ब्रह्मजी तीनों की तपस्या से प्रसन्न हुए और बोले कि मांगों क्या वरदान मांगना चाहते हो। तीनों ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने को कहा।

तीनों ने मिलकर फिर सोचा और इस बार ब्रह्माजी से तीन अलग नगरों का निर्माण करवाने के लिए कहा, जिसमें सभी बैठकर सारी पृथ्वी और आकाश में घूमा जा सके। एक हज़ार साल बाद जब हम मिलें और हम तीनों के नगर मिलकर एक हो जाएं, और जो देवता तीनों नगरों को एक ही बाण से नष्ट करने की क्षमता रखता हो, वही हमारी मृत्यु का कारण हो। ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया।

तीनों वरदान पाकर बहुत खुश हुए। ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया। तारकक्ष के लिए सोने का, कमला के लिए चांदी का और विद्युन्माली के लिए लोहे का नगर बनाया गया। तीनों ने मिलकर तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया। इंद्र देवता इन तीनों राक्षसों से भयभीत हुए और भगवान शंकर की शरण में गए। इंद्र की बात सुन भगवान शिव ने इन दानवों का नाश करने के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान –

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत लाभकारी माना गया है।स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व तारों की छाँव में माना गया है।ब्रह्मा,विष्णु,महेश,आदित्य,मरुदगण तथा अन्य सभी देवी-देवता कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर में स्नान करते है ।मान्यता है कि देवों की दीपावली मानी जाने वाली कार्तिक पूर्णिमा पर विधिवत स्न्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है।यदि आप गंगा स्नान करने नहीं जा सकते तो आप घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य –

पदमपुराण के अनुसार पूजा,तपस्या,यज्ञ आदि से भी श्री हरि को उतनी प्रसंनता नहीं होती,जितनी कि  प्रातः स्नान कर जगत को प्रकाश देने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से होती है ।इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को नियमित सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए  सूर्य को अर्घ्य अवश्य प्रदान करना चाहिए।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करें –

इस दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आवंले का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मण, बहन और बुआ को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा अवश्य दें। शाम के समय जल में थोड़ा कच्चा दूध,चावल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से आप पर चंद्रमा की सदैव कृपा बनी रहती है।लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए इस दिन मीठा दूध मिलाकर जल अवश्य चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास माना जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन रंगोली बनाएं –

कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर आम का तोरण अवश्य बांधे और द्वार पर रंगोली भी अवश्य बनाएं, ऐसा करने से हर में सकारात्मकता बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ एवं ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना बहुत लाभकारी है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करें –

शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान को विशेष माना जाता है। इसलिए इस दिन किसी पवित्र नदी, तालाब,मंदिर एवं खुले आकाश के नीचे दीप अवश्य जलाएं। ऐसा करने से आपको पुण्य फलों की प्राप्ति होगी। मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए तुलसी पूजन कर तुलसी के पौधे के नीचे दीपक अवश्य जलाएं।

कार्तिक पूर्णिमा पर क्या न करें –

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, अंडा, प्याज, लहसुन इनका प्रयोग न करें।
चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। हो सके तो भूमि पर शयन करें। घर में किसी भी प्रकार का झगड़ा नहीं करना चाहिए।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गरीब, असहाय, बुजुर्ग या फिर किसी से कटु वचन नहीं बोलें और न ही किसी का अपमान करें, ऐसा करने से आपको दोष लगता है।

कार्तिक पूर्णिमा की विशेषताएँ –

1. प्रत्येक वर्ष पंद्रह पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 16 हो जाती है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन स्नान के समय यह श्लोक बोलना चाहिए

2. सृष्टि के आरंभ से ही यह तिथि बड़ी ही खास रही है। पुराणों में इस दिन स्नान, व्रत व तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। इसका महत्व सिर्फ वैष्णव भक्तों के लिए ही नहीं शैव भक्तों और सिख धर्म के लिए भी बहुत ज्यादा है।

3. विष्णु के भक्तों के लिए यह दिन इसीलिए खास है क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में थे। भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा, प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों, अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ।

4. शिव भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का संहार कर दिया जिससे वह त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए। इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं।

5. सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इस दिन सिख सम्प्रदाय के अनुयायी सुबह स्नान कर गुरुद्वारों में जाकर गुरुवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताए रास्ते पर चलने की सौगंध लेते हैं। इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है।

6. कार्तिक पूर्णिमा उत्सव दीपावली की भांति दीप जलाकर सायंकाल में मनाया जाता है।

7. यह दिन एक नहीं बल्कि कई वजहों से खास है। इस दिन गंगा-स्नान, दीप दान, अन्य दानों आदि का विशेष महत्व है। इस दिन क्षीरसागर दान का अनंत महत्व है, क्षीरसागर का दान 24 अंगुल के बर्तन में दूध भरकर उसमें स्वर्ण या रजत की मछली छोड़कर किया जाता है।

8. इस दिन चंद्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन कृतिका में शिवशंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है।

9. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धापूर्वक गंगा स्नान करने से पूरे वर्षभर गंगा मइयां अपने भक्तों पर प्रसन्न रहती है। इस दिन तीर्थ स्नान की प्रथा है गंडक, कुरुक्षेत्र, अयोध्या, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, काशी में भी स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।अत: कार्तिक पूर्णिमा का दिन कई मायनों में बहुत खास हैं।

10. कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा पड़ती है जो अंधेरे का सर्वनाश करती है। अत: इस दिन ईश्वर आराधना से तामसिक प्रवृत्तियों का नाश होता है और धार्मिक ग्रंथों में इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी बताया गया है।

कार्तिक पूर्णिमा मंत्र –

ॐ सों सोमाय नम:।
ॐ विष्णवे नमः।
ॐ कार्तिकेय नमः।
ॐ वृंदाय नमः।
ॐ केशवाय नमः।

कार्तिक पूर्णिमा के आसान उपाय –

1. पूर्णिमा पर गरीबों को सफेद वस्त्रों के साथ दूध, मावे की मिठाई और चावल जरूर दान करना चाहिए। यदि आप किसी गरीब को यह नहीं दे पाते हैं, तो किसी भी मंदिर में उपरोक्त सामग्री का दान कर सकते हैं।
2. कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा जरूर करनी चाहिए। कार्तिकेय का इस दिन जन्मदिन माना जाता है। उनसे सभी प्रकार की जीत की विशेष प्रार्थना करनी चाहिए।
3. माता लक्ष्मी के साथ चंद्रमा को सफेद चावल की मीठी खीर बनाकर भोग लगाने से माता लक्ष्मी विशेष रूप से प्रसन्न होती है।
4. पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर पीपल के पेड़ में मीठा दूध और जल जरूर चढ़ाना चाहिए।
5. इस दिन देव दिवाली भी मानी जाती है। घर को उसी तरह रोशन करना चाहिए, जैसे दिवाली के दिन करते हैं। इससे देवता प्रसन्न होते हैं और घर पर आशीर्वाद बरसाते हैं।
6. कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर में भगवान सत्यनारायण की कथा करने से शुभता की प्राप्ति होती है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन करें ये 5 काम –

1. गरीबों को दान करें –
कार्तिक पूर्णिमा का दिन दान के लिए बहुत खास माना जाता है. ऐसे में गरीबों को दान देना चाहिए खासकर उन्हें चावल का दान जरूर दें इससे आपको ज्यादा फल मिलता है और भूखों को खाना खिलाना वैसे भी बहुत पुण्य का काम माना गया है

2. भगवान विष्णु पर चढ़ाएं तुलसी के पत्ते –
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी का पत्ता भगवान विष्णु पर जरूर अर्पित करें. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन आप जो भी भोग लगाते हैं उसमें तुलसी का पत्ता रखना शुभ होता है |

3. आम के पत्ते का तोरण –
अपने घर में आम के पत्ते का तोरण बनाकर लगाएं, यह बहुत ही पवित्र माना जाता है. आम के पत्ते घर में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और इन्हें मुख्य द्वार पर लगाया जाता है

4. दरवाजे पर जलाएं दीपक –
इस दिन तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाकर दीपक जलाएं इसके अलावा घर के मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाना चाहिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन लाल कपड़े में कौड़ी, गोमती चक्र, काली हल्दी और एक सिक्का लपेटकर तिजोरी में रख देना चाहिए

5. पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं –
पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का वास पीपल के वृक्ष पर होता है इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल जरूर चढ़ाएं अगर दूध में शक्कर मिला देते हैं तो उनकी बहुत सी विपत्तियां कम होती हैं

6. डिस्क्लेमर –
यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है, इसकी पुष्टि Opoyi Hindi नहीं करता है इसपर अमल करने से पहले आप संबंधित विषय विशेषज्ञ से पूछ सकते हैं |

प्यारे दोस्तो आज के इस नये लेख में हमने आपको सरकार द्वारा शुरू कर दी गई कार्तिक पूर्णिमा कब है से जुड़ी जानकारीया प्रदान की है। यदि आपको लेख में प्रदान की गई जानकारीया पसंद आयी हो तो इस लेख को अपने दोस्तो के साथ शेयर अवश्य करे। इसके अलावा यदि आपके मन में किसी तरह का कोई सवाल हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स में अवश्य पूछे। कार्तिक पूर्णिमा कब है से जुड़ी अधिक जानकारी हेतु आप सबंधित विभाग की अधिकारीक वेबसाइट पर जाये। और इस प्रकार की योजना के बारे में जानने के लिए हमारे साइट vidhia.in पर विजिट करे।

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