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उगते सूरज और दौड़ते हुए घोड़े के चित्र लगाने से नहीं होती प्रगति, करना होगा यह काम

उगते सूरज और दौड़ते हुए घोड़े के चित्र लगाने से नहीं होती प्रगति, करना होगा यह काम

 उगते सूरज और दौड़ते हुए घोड़े के चित्र लगाने से नहीं होती प्रगति, करना होगा यह काम – निर्मल जैन मेट्रो ट्रेन की तरह दरवाजे, जीवन में भी कभी बाईं (सुख) तो कभी दाईं (दुख) ओर खुलेंगे। सुख-दुख के मिश्रण का ही नाम है जीवन। तमाम संघर्षों और समस्याओं के रहते हुए भी बहुत खूबसूरत है जिंदगी। इसको जी भर कर जिएं, भरपूर भरपूर आनंद उठाएं। इसकी उसकी देखा-देखी में ना पड़ें। हममें से सभी कभी-कभी अपनी जिंदगी से असंतुष्ट, निराश और परेशान हो जाते हैं। जबकि उसी समय कुछ लोग हमारी जैसी जिंदगी जीने का सपना देख रहे होते हैं। आकाश में उड़ते हवाई जहाज को देखकर जमीन पर बैठा बालक उड़ने का सपना देख रहा होता है, पर उसी समय जहाज का पायलट खेत और बच्चे को देख घर-परिवार में लौटने की सोचता है। अपना ज्यादा ध्यान अपने दुर्भाग्य पर न लगाएं। उगते सूरज और दौड़ते हुए घोड़े के चित्र लगाने से नहीं होती प्रगति, करना होगा यह काम

अगर धन-दौलत ही खुशहाल होने की कुंजी होती, तो अमीर लोग सड़कों पर नाचते दिखाई पड़ते, लेकिन सिर्फ अमीरी से दूर बच्चे ऐसा करते दिखाई देते हैं। अगर खूबसूरती और प्रसिद्धि मजबूत रिश्ते कायम कर सकती तो ‘सिलेब्रिटीज’ की शादियां सबसे ज्यादा सफल होतीं। हम जब इस दुनिया में आते हैं, तो हमें कुछ कर्ज चुकाने होते हैं। अपने माता-पिता, परिजनों, मित्रों, समाज और देश का। इनमें बड़ा ऋण उस परमात्मा का, जिसने हमें इन कर्जों को उतारने के लायक बनाया। अब हम अगर इन कर्ज को ना चुका कर धन-दौलत का अंबार लगाने में जुट जाएं तो यहां हमारे बैंकों में अवश्य ही लाखों-करोड़ों का बैलेंस होगा, लेकिन परमेश्वर के लेखे-जोखे में हमारा पुण्य का बैलेंस शून्य ही होगा।

अमीर होने की अनुभूति करनी है, वह खुशी चाहते हैं जो कभी खत्म न हो और न कम हो, तो अपनी खुशी को कीमती चीजों में नहीं बल्कि परिवार, दोस्त, सम्मान, गरिमा, और अच्छी यादों में तलाश करें। सामान्य जीवन जिएं, विनम्रता से चलें और ईमानदारीपूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। संबंधों के प्रति समर्पण हो तो राधा जैसा । नाम कहीं भी नहीं लिखा है ‘श्री भागवत’ में राधा का। फिर भी समापन पर लोग राधे-राधे कहते हैं। सांसारिक व्यवस्था में अकेले का कोई अस्तित्व नहीं। संगठन से, समाज से, परिवार से जुड़े रहें। संपत्ति और खेत अगर सड़क पर हो तो कीमती बन जाता है लेकिन अगर आदमी अकेला होकर सड़क पर हो तो उसकी कोई कीमत नहीं होती। अपने होने को सार्थक बनाएं, चारों तरफ छोटी-छोटी खुशियां, छोटे-छोटे आश्रय बोएं।

यह समझाने की आवश्यकता नहीं है कि हम बेहतर हैं। न ही दूसरों के स्तर तक नीचे जाने की जरूरत है। अपनी ऊर्जा को सकारात्मक प्रयासों में लगाएं। वह करें जो हमारे सम्यक रूप से मनोनुकूल हो। चीता अपनी गति का उपयोग शिकार करने के लिए करता है ना कि कुत्तों को यह बताने के लिए कि वह तेज और मजबूत है। जरूरी नहीं कि बरगद और पीपल ही बनें, गमले की तुलसी भी कम नहीं होती। विवेकपूर्ण हाथों में दीपक भी सूर्य बन जाता है।

कोई हमारे साथ कितना भी दुर्व्यवहार कपट, छल करे हमें निर्मल, निष्पाप बने रहना है। क्योंकि बीमार को देखकर स्वयं बीमार हो जाना बुद्धिमानी नहीं कहलाती। सृष्टि अपने आप में संपूर्ण होती है, हमें जो कुछ गलती उसमें दिखती है वह हमारी दृष्टि में होती है। सारी दुनिया को अच्छा करने का प्रयास न करके अपने दृष्टिकोण को बदलने का प्रयास करें। उगते सूरज और दौड़ते हुए घोड़े के चित्र लगाने से प्रगति नहीं होती। अपने उत्थान के लिए सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक घोड़े की भांति दौड़ना पड़ता है।

Conclusion:- दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने उगते सूरज और दौड़ते हुए घोड़े के चित्र लगाने से नहीं होती प्रगति, करना होगा यह काम के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह आर्टिकल आवश्यक पसंद आया होगा, और आज के इस आर्टिकल से आपको अवश्य कुछ मदद मिली होगी। इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

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